नयी दिल्ली , वैज्ञानिक ढंग से पशुपालन कर दूध उत्पादन को काफी बढाया जा सकता है और इससे किसानों को खुशहाल बनाने में बड़ी मदद मिल सकती है । ये विचार पशुपालन और दुग्ध उत्पादन से जुड़े जानेमाने विशेषज्ञों और वैज्ञानिकेों ने आज यहां व्यक्त किये ।
पशुपालन आयुक्त सुरेश एस होन्नप्पागोल ए कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के प्रमुख ए के श्रीवास्तव और इंडियन डेयरी एसोसिएशन के अध्यक्ष अरुण दत्तात्रय नरके ने यहां संयुक्त रुप से आईडीए की हिन्दी पत्रिका दुग्ध सरिताश् का पहला अंक को जारी करते हुये कहा कि किसानों को अल्पकालिक प्रशिक्षण देकर भी उनकी आय बढायी जा सकती है ।
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उन्होंने कहा कि पशुपालन स्थल की साफ सफाई और उचित चारा प्रबंधन से भी दूध उत्पादन बढता है लकिन किसानों को इसकी ठीक से जानकारी नहीं है । वैज्ञानिकों ने कहा कि पशु भी साफ सुथरे स्थानों पर रहना चाहते हैं और इससे वे अधिक मात्रा में दूध देते हैं ।
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उन्होंने कहा कि देश में सालाना लगभग 15 करोड़ 50 लाख टन दूध का उत्पादन होता है लेकिन सहकारी समितियों की कमी के कारण किसान स्थानीय स्तर पर ही दूध कम कीमत में बेचने को बाध्य होते हैं । सहकारी समितियां दूध में वैल्यू एडीशन कर उसका लाभ किसानों को देती हैं जबकि निजी क्षेत्र में ऐसा नहीं हो पाता है ।
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पशुपालन विशेषज्ञों ने कहा कि गांवों में गरीब और बहुत ही छोटे किसान बकरी और भेड़ पालन करते हैं जो अनकी आय के प्रमुख स्त्रोत हैं । दूध उत्पादन में भेड़ और बकरी का योगदान चार से पांच प्रतिशत हैं ।
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पत्रिका के संपादक और जानेमाने कृषि वैजानिक जगदीप सक्सेना ने बताया कि हिन्दी में पत्रिका के प्रकाशन का उद्देश्य गांव स्तर पर अधिक से अधिक किसानों को पशुपालन के क्षेत्र में नये अनुसंधानों और सम सामयिक जानकारी उपलब्ध कराना है । पत्रिका के माध्यम से डेयरी क्षेत्र में हो रहे नये नये प्रयोगों से भी अवगत कराया जायेगा ।
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