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देश के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में युवाओं की रुचि से गदगद हुए मोदी

नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम में नौजवानों से कंफर्ट जोन  से बाहर निकलकर कुछ नया और कठिन काम कर अनुभव हासिल करने की अपील रंग ला रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि हमारी युवा पीढ़ी देश के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में रुचि ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित मन की बात कार्यक्रम के 32वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि युवाओं का आह्वान किया कि कभी मौका मिले तो हमारी आजादी की जंग के तीर्थ क्षेत्र सेल्युलर जेल जरूर जाएं।

उन्होंने कहा कि पिछली बार मन की बात में मैंने खास करके नौजवानों को कहा था, कुछ नया करें, कंफर्ट जोन से बाहर निकलिए, नये अनुभव लें, और यही तो उम्र होती है जिन्दगी को इस प्रकार से जीना, थोड़ा रिस्क लेना, कठिनाइयों को न्योता देना। मुझे खुशी हो रही है कि बहुत सारे लोगों ने मुझे फीडबैक दिया। उन्होंने कहा कि मैंने सरसरी नजर से भी जो देखा-किसी ने संगीत सीखने का प्रयास किया है, कोई नये वाद्य पर हाथ आजमा रहा है, कुछ लोग यू-ट्यूब का उपयोग करते हुए नई चीजें सीखने का प्रयास कर रहे हैं, नई भाषा सीखने का प्रयास कर रहे हैं।

कुछ लोग कुकिंग सीख रहे हैं, कुछ नृत्य सीख रहे हैं, कुछ ड्रामा सीख रहे हैं। कुछ लोगों ने तो लिखा है कि हमने अब कविताएं लिखनी शुरू की है। प्रकृति को जानना, जीना, समझना उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि दीक्षा कात्याल ने फोन कर बताया कि उनकी पढ़ने की आदत लगभग छूट चुकी थी। इसलिए इन छुट्टियों में उन्होंने पढ़ने की ठानी।

जब उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के बारे में पढ़ना शुरू किया, तब अनुभव किया कि भारत को आजादी दिलाने में कितना संघर्ष करना पड़ा है, कितना बलिदान देना पड़ा है, कितने स्वतंत्रता सेनानियों ने जेलों में वर्षों बिताए। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि युवा पीढ़ी हमारे इतिहास को, हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को, इस देश के लिए बलिदान देने वाले लोगों को, उनके विषय में जानने में रूचि रख रही है। अनगिनत महापुरुष, जिन्होंने जवानी जेलों में खपा दी। कई नौजवान फांसी के तख्त पर चढ़ गए।

क्या कुछ नहीं झेला और तभी तो आज हम आजाद हिन्दुस्तान में सांस ले रहे हैं। एक बात हमने देखी होगी कि आजादी के आन्दोलन में जिन-जिन महापुरुषों ने जेलों में समय बिताया, उन्होंने लेखन का, अध्ययन का, बहुत बड़ा काम किया और उनकी लेखनी ने भी भारत की आजादी को बल दिया। उन्होंने कहा कि बहुत वर्षों पहले मैं अंडमान निकोबार गया था। सेलुलर जेल देखने गया था। आज वीर सावरकर जी की जन्म जयन्ती है। वीर सावरकर जी ने जेल में माजी जन्मठे किताब लिखी थी। कविताएं लिखते थे, दीवारों पर लिखते थे।

छोटी सी कोठरी में उनको बंद कर दिया गया था। आजादी के दीवानों ने कैसी यातनाएं झेली होंगी। जब सावरकर जी की माजी जन्मठे एक किताब मैंने पढ़ी और उसी से मुझे सेलुलर जेल देखने की प्रेरणा मिली थी। मैं देश की युवा पीढ़ी को जरूर कहूँगा कि हमें जो आजादी मिली है उसकी कैसी यातना लोगों ने झेली थी, कितने कष्ट झेले थे, अगर हम सेलुलर जेल जाकर के देखें। काला पानी क्यों कहा जाता था! जाने के बाद ही पता चलता है। आप भी कभी मौका मिले तो जरूर जाइए, एक प्रकार से हमारी आजादी की जंग के तीर्थ क्षेत्र हैं, जरूर जाना चाहिए।