न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर देश के नये प्रधान न्यायाधीश होंगे। न्यायमूर्ति ठाकुर देश के 43वें प्रधान न्यायाधीश होंगे। न्यायमूर्ति ठाकुर का जन्म चार जनवरी, 1952 को हुआ थाA देश के प्रधान न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल एक साल से कुछ अधिक चार जनवरी 2017 तक रहेगा। 63 वर्षीय ठाकुर ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी प्रकरण में फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता की थी। बहुचर्चित सारदा चिट फण्ड घोटाले के मामले की जांच की निगरानी भी न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ही कर रही है। न्यायमूर्ति ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ही उप्र के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में करोड़ों रूपए के घोटाले के मामले की भी सुनवाई कर रही है। इस मामले में अन्य नेताओं और नौकरशाहों के साथ ही उप्र के पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा और वरिष्ठ आई ऐ एस प्रदीप शुक्ला भी आरोपी है।
न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर ने बतौर वकील अक्तूबर 1972 में अपना पंजीकरण कराया और जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में दीवानी, फौजदारी, टैक्स, सांविधानिक मामलों तथा नौकरी से संबंधित मामलों में वकालत शुरू की। इसके बाद उन्होंने अपने पिता प्रसिद्ध अधिवक्ता स्व डी डी ठाकुर के चैंबर में काम शुरू किया। न्यायमूर्ति ठाकुर को 1990 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया। इसके चार साल बाद 16 फरवरी, 1994 को उन्हें जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और मार्च, 1994 में उनका तबादला कर्नाटक उच्च न्यायालय कल दिया गया। बाद में सितंबर, 1995 में उन्हें स्थाई न्यायाधीश बना दिया गया और फिर जुलाई, 2004 में उनका तबादला दिल्ली उच्च न्यायालय कर दिया गया था। न्यायमूर्ति ठाकुर नौ अप्रैल, 2008 से 11 अगस्त, 2008 के दौरान दिल्ली उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे। न्यायमूर्ति ठाकुर को 17 नवंबर, 2009 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
वर्तमान प्रधान न्यायाधीश जे एच दत्तू के दो दिसंबर को सेवानिवृत्त होने पर न्यायमूर्ति ठाकुर प्रधान न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करेंगे। आधिकारिक सू़त्रों ने बताया कि न्यायमूर्ति ठाकुर की नियुक्ति के मामले में कानून मंत्रालय से औपचारिकता पूरी होने के बाद उनकी फाइल प्रधान मंत्री कार्यालय भेजी जायेगी। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर उनकी नियुक्ति संबंधी वारंट जारी किया जायेगा। न्यायमूर्ति ठाकुर के पिता भी जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश और फिर केन्द्रीय मंत्री रह चुके थे।