नई दिल्ली, वर्तमान में देश में तीन लाख योग प्रशिक्षकों की कमी है, जबकि पांच लाख योग प्रशिक्षकों की जरूरत है। एसोचैम द्वारा किए गए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को जारी सर्वेक्षण में कहा गया है, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जहां इसकी लोकप्रियता को बढ़ा रहा है, उससे योग तेजी से फिटनेस की नई मुद्रा बन रहा है। जिस तरह से योग दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है, उस हिसाब से प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों की कमी होती जा रही है।
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अध्ययन में कहा गया है, लोकप्रिय हस्तियों को योग सिखाने की बढ़ती लोकप्रियता ने इसे एक आर्कषक पेशा बना दिया है। योग प्रशिक्षक निजी कक्षाओं के लिए अपने अनुभव के आधार पर किसी भी दर से शुल्क ले सकते हैं। आज योग देश भर के लोगों की जीवनशैली का आंतरिक हिस्सा है और योग स्टूडियो और निजी योग कोचिंग कक्षाओं की बढ़ती संख्या इसका प्रमाण है।
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अध्ययन में कहा गया है कि बहुत सारे लोग योग कक्षाओं में 5,000 रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक खर्च करने को तैयार हैं, क्योंकि वे इसे अपनी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक भलाई में किया गया निवेश मानते हैं।
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अध्ययन में कहा गया है, दक्षिण पूर्व एशिया में योग प्रशिक्षकों की मांग सबसे अधिक है और भारत दक्षिणपूर्व एशिया और चीन के लिए इसका सबसे बड़ा निर्यातक है। अनुमान है कि चीन में भारत के 3,000 योग प्रशिक्षक काम कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर हरिद्वार और ऋषिकेश के हैं, जिसे योग राजधानी कहा जाता है, क्योंकि वहां बहुत सारे योग स्कूल हैं।
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