नक्सली हमले में शहीद नरेश यादव के पिता का गुस्सा उतरा, मोदी सरकार पर

दरभंगा , नक्सली हमले में शहीद  जवान नरेश यादव बिहार के उन 6 जांबाजो में से एक हैं जिन्होंने सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. नरेश यादव अपने पीछे ने बुजुर्ग मां-बाप, बीवी और 3 बच्चे छोड़ गए हैं. नरेश यादव अपने मां-बाप के एकलौते बेटे और परिवार में अकेले कमाने वाले भी थे. नरेश के परिजनों को उनकी शहादत की खबर सोमवार की रात टीवी के जरिए मिली जिसके बाद घर में मातम छा गया.

 

नरेश यादव के  पिता राम नारायण यादव केंद्र सरकार से काफी नाराज हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कब तक माओवादियों के आगे देश के जवान शहीद होते रहेंगे? नरेश यादव के पिता ने मांग की है कि माओवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाए.

 

नक्सली हमले में शहीद दरभंगा के जवान नरेश यादव इसी साल 10 जनवरी को लंबी छुट्टी बिताने के बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा लौटे थे. 45 वर्षीय नरेश हेड कांस्टेबल के पद पर सीआरपीएफ की 74 बटालियन में तैनात थे. उन्होंने अपने गांव अहिला में छुट्टियों के दौरान एक पक्के मकान का निर्माण कार्य शुरू करवाया था. दो दिन पहले नरेश यादव ने अपनी पत्नी रीता देवी से भी बात की थी और बड़े बेटे को अच्छे कॉलेज में दाखिला कैसे मिले इसको लेकर चर्चा की थी.

 शहीद का बड़ा बेटा दसवीं कक्षा में पढ़ता है जबकि छोटा बेटा पांचवीं में है. उनकी एक बेटी भी है जो नौवीं कक्षा में पढ़ती है. बातचीत के दौरान नरेश ने अपनी पत्नी से वादा किया था कि वह बहुत जल्द वापस अपने गांव आएंगे और मकान का काम को पूरा करवाएगा. लेकिन सोमवार को हुए नक्सली हमले में वो शहीद हो गए.

 

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