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नवरात्र के छठे दिन ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा, होगा ये बड़ा फायदा..

नई दिल्ली,नवरात्र के छठे दिन कात्यायनी देवी की पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है. कात्यायनी देवी दुर्गा जी का छठा अवतार हैं. शास्त्रों के अनुसार देवी ने कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, इस कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ गया. मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं. शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासनाकरनी चाहिए.

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 महर्षि कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न होकर माता ने चैत्र कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन कात्यायन ऋषि की पूजा ग्रहण कर दशमी को महिषासुर का वध किया था. नवरात्र के छठे दिन कलश स्थापित करें माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें जो देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन हैं. इनकी पूजा के पश्चात देवी कात्यायनी जी की पूजा कि जाती है. पूजा की विधि शुरू करने पर हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर देवी के मंत्र का ध्यान किया जाता है.

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तीन नेत्रों से विभूषित माता के मुख पर सौम्यता है. इनका ध्यान करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है. माता महाभय से भक्त की रक्षा करती हैं. इनकी उपासना और आराधना से भक्‍तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. भक्‍तों के सभी रोग, शोक, संताप और भय नष्‍ट हो जाते हैं. इसके साथ ही मां कात्‍यायनी की पूजा से भक्‍तों के सभी जन्‍म के पापों का नाश भी हो जाता है.