न्यूज 85, जांच एजेंसियों के नाम पर विपक्ष को परेषान करना और अपने प्रतिद्वन्दी राजनेताओं को विभिन्न प्रकार की जांचों मे फंसाकर अपना उल्लू सीधा करना सत्ता पक्ष का सबसे प्रिय और प्रभावी हथियार रहा है। केन्द्र मे अब तक रही कांग्रेसी सरकारों ने इसका सर्वाधिक दुरुपयोग किया है। मुलायम सिंह, मायावती, लालू प्रसाद यादव, जयललिता आदि कांग्रेस के इसी खेल का षिकार हैं। उस समय भाजपा हमेषा कांग्रेस के इस कुकृत्य का विरोध करती रही है। इसीलिये लोगों को यह आषा भी थी कि भाजपा की सरकार आने पर यह गंदा खेल समाप्त हो जायेगा। लेकिन ऐसा होता दिखायी नही पड़ता है।
05 अगस्त को लखनऊ मे जनेष्वर मिश्र जयंती पर आयोजित समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम मे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा जाहिर की गई षंका निराधार नही है। उन्होने साफ कहा कि यूपीए सरकार मे जो काम कांग्रेस की सरकार ने किया वही काम भाजपा की सरकार भी कर रही है। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने किसी भी मुख्यमंत्री को जांच मे फंसाने से नही बख्षा था, अब बीजेपी भी विपक्ष के नेताओं को फंसा रही है। मुलायम सिंह यादव ने बिना नाम लिये, जांच एजेंसियों की गतिविधियों पर सवाल खड़े कर दिये हंै। मुलायम सिंह यादव ने बताया कि मैने एक भाजपा के नेता से कहा है कि अगर यही हरकत रही तो भाजपा की केन्द्र सरकार ज्यादा दिन नही चल पायेगी।
इसी आषंका के चलते इंजीनियर यादव सिंह प्रकरण मे केन्द्र की भूमिका षायद मुलायम सिंह यादव को पसंद नही आ रही है। प्रदेष सरकार की इच्छा न होने के बावजूद हाइकोर्ट द्व़़ारा सीबीआई जांच के आदेष देना और सीबीआई द्वारा ताबड़तोड़ छापेमारी करना समाजवादी नेता को रास नही आ रहा हैं। क्योंकि षायद मुलायम सिंह को इस जांच मे वो सब दिख रहा है जो षायद दूसरे नेता अभी भांप भी नही पायें हैं। ये मुलायम सिंह यादव के राजनैतिक अनुभव और दूरदर्षिता का परिणाम है कि षिकारी के जाल डालने से पहले ही उन्होने जाल काटने का इंतजाम कर षिकारी पर हमला बोल दिया है। षायद यही कारण है कि प्रदेष सरकार ने सीबीआई जांच के आदेष को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी है। याचिका मे कहा गया है कि क्या इस तरह से इंजीनियर यादव सिंह प्रकरण की जांच सीबीआई के हवाले किये जाने से संविधान के फेडरल सिस्टम का उल्लंघन नही होता है। याचिका मे साफ आष्ंाका जतायी गयी है कि केन्द्र सरकार सीबीआई का इस्तेमाल राजनैतिक मोटिव के लिये कर सकती है। याचिका मे कहा गया है कि केस को सीबीआई जांच के लिये भेजा जाना जरुरी नही था क्योंकि पहले से ही प्रदेष सरकार द्वारा एक न्यायिक आयोग द्वारा जांच करवायी जा रही थी। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर टिकीं हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का ही सहारा है केन्द्र के जाल से बचने का।