नई दिल्ली, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर बुधवार को राष्ट्रपति भवन तक मार्च करेंगे। जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला भी तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व में निकाले जाने वाले इस मार्च में हिस्सा ले सकते हैं।
आठ नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था और उसके बाद से ही ममता इसका विरोध कर रही हैं। सरकार के इस फैसले के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए ममता अपने चिर प्रतिद्वंद्वी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित कई विपक्षी दलों के साथ मिल गईं। तृणमूल के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने मंगलवार को कहा, ममता बुधवार को राष्ट्रपति भवन तक विरोध मार्च निकालेंगी और हम राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे। अरविंद केजरीवाल और उमर अब्दुल्ला भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने कहा, हमने वाम दलों से बात की है। इसके अलावा हमने शिवसेना सहित कई अन्य दलों से भी बात की है। यह राजनीति करने का समय नहीं है। यह समय आम आदमी का साथ देने का है, जो मुसीबत में है, जिससे हम राष्ट्रपति को अवगत कराएंगे। ममता ने नोटबंदी के मुद्दे पर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की, हालांकि माकपा के इस मार्च में शामिल होने की संभावना नहीं है। माकपा के इस मार्च में शामिल होने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी मोदी सरकार को पहले संसद में घेरेगी और सरकार से मिलने वाली प्रतिक्रिया के आधार पर अपने अगले कदम के बारे में फैसला करेगी।