कानपुर, बड़े नोटों की बंदी से फल व सब्जियों का बाजार भी प्रभावित होने से नहीं बच सका। लगातार आवक कमजोर पड़ रही है फिर भी इनके दामों में बढ़ोत्तरी के बजाय घट रहें है। जिससे रोजमर्रा ठेले व गुमटी में बेचने वालों की मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। आर्थिक पहलुओं के अनुसार जब भी किसी सामान की आवक घटती है तो उसकी कीमत मांग के अनुसार बढ़ती जाती है। लेकिन 500 व 1000 नोटों के बंद होने के बाद शहर में लगातार फल व सब्जियों की आवक घट रही है। फिर भी दामों की बढ़ोत्तरी के बजाय घट रहें है। हालात यह है कि चकरपरु मंडी में 30 प्रतिशत ही आवक रह गई है। संयुक्त व्यापार मंडल चकरपुर के महामंत्री नीतू सिंह ने बताया कि इस थोक मंडी में एक हफ्ते पहले तक छोटी एवं बड़ी 700 से 800 गाड़ियां आती थीं, उनकी संख्या घटकर डेढ़-दो सौ रह गई है। कश्मीरी सेव, महाराष्ट्र में अनार, केले आदि के जो आर्डर पहले से बुक हैं, वह भी नहीं आ पा रहें है। कोई भी गाड़ी वाला पांच सौ व हजार का नोट लेने को तैयार नहीं है। जिससे मण्डी के आढ़तियों का व्यापार लगातार चौपट हो रहा है। काकादेव के फल व्यापारी रमेश साहू ने नोट बंदी से लोग फल खरीदना तो दूर देखते भी नहीं है। कभी-कभी तो बोहनी भी नहीं होती है, जिससे मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है। कहा कि 100 रूपए किलो का सेव 60 रूपए में बेचने पर भी कोई नहीं खरीद रहा है। रावतपुर के सब्जी विक्रेता रामनारायण गुप्ता ने बताया कि जो आलू 20 रूपए किलो खरीदा था वह अब मजबूर होकर 15 रूपए किलो में बेचना पड़ रहा है। चकरपुर के आढ़ती अनुज अग्रवाल ने बताया कि नागपुर और आसपास से आने वाली मुसम्मी के जो आर्डर दिए गए थें वह भी अब नए नोट की मांग कर रहें है। नए नोट न होने से लगातार मण्डी में आवक कम होती जा रही है। इसके साथ ही यह भी कहा कि रोजमर्रा की वस्तुओं को देखते हुए केन्द्र सरकार को फल व सब्जी विक्रेताओं को इस नोट बंदी से बाहर रखना चाहिए।