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प्रधानमंत्री ने दी सलाह, त्यौहारों को बनाएं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

 

नई दिल्ली,  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय त्यौहारों को पर्यटन उद्योग के आकर्षण का एक प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने कहा कि हमारे त्योहार भी पर्यटन के आकर्षण का भी कारण बनते जा रहे हैं। मैं कहूँगा कि जैसे गुजरात में नवरात्रि का उत्सव या बंगाल में दुर्गा उत्सव एक प्रकार से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा हैद्य वैसे दूसरे त्यौहारों को भी विदेशी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बनाने की दिशा में पहल करें। रविवार को आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी केरल में ओणम का त्योहार मनाया जा रहा है।

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 भारत के रंग-बिरंगे त्योहारों में से एक ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व अपने सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व के लिए जाना जाता है। उन्होंने भारतीय पर्वों का जिक्र करते हुए कहा कि अब तो हमारे त्योहार भी पर्यटन के आकर्षण का कारण बनते जा रहे हैं। मैं तो देशवासियों से कहूँगा कि जैसे गुजरात में नवरात्रि का उत्सव या बंगाल में दुर्गा उत्सव एक प्रकार से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका हैं, वैसे ही हमारे और त्योहार भी, विदेशियों को आकर्षित करने के लिये एक अवसर हैं। उस दिशा में हम क्या कर सकते हैं, इस, पर विचार करना चाहिए।

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 मन की बात कार्यक्रम के 35 वें संस्करण को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है और ये विविधताएँ खान-पान, रहन-सहन, पहनावा वहाँ तक सीमित नहीं हैं। जीवन के हर व्यवहार में हमें विविधताएँ नजर आती हैं। यहाँ तक कि हमारे त्योहार भी विविधताओं से भरे हुए हैं और हजारों साल पुरानी हमारी सांस्कृतिक विरासत होने के कारण सांस्कृतिक परम्पराएँ देखें, सामाजिक परम्पराएँ देखें, ऐतिहासिक घटनायें देखें तो शायद ही साल भर में कोई दिन बचता होगा जो हमारे यहाँ कोई त्योहार से न जुड़ा हुआ हो।

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 हमारे बहुत सारे त्योहार तो सीधे-सीधे किसान से जुड़े हुए होते हैं, मछुआरों से जुड़े हुए होते हैं। उन्होंने कहा कि जैन समाज में कल संवत्सरी का पर्व मनाया गया। जैन समाज में भाद्र मास में पर्युषण पर्व मनाया जाता है। पर्युषण पर्व के आखिरी दिन संवत्सरी का दिन होता है। ये सचमुच में अपने आप में एक अद्भुत परम्परा है। संवत्सरी का पर्व क्षमा, अहिंसा और मैत्री का प्रतीक है। इसे एक प्रकार से क्षमा-वाणी पर्व भी कहा जाता है और इस दिन एक-दूसरे को मिच्छामि दुक्कड़म कहने की परंपरा है। मोदी ने कहा कि इन दिनों हिन्दुस्तान के हर कोने में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है और जब गणेश चतुर्थी की बात आती है तो सार्वजनिक-गणेशोत्सव की बात स्वाभाविक है।

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 बालगंगाधर लोकमान्य तिलक ने 125 साल पूर्व इस परंपरा को जन्म दिया और पिछले 125 साल आजादी के पहले वो आजादी के आन्दोलन का प्रतीक बन गए थे। और आजादी के बाद वे समाज-शिक्षा, सामाजिक-चेतना जगाने के प्रतीक बन गये हैं। गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक चलता है। इस महापर्व को एकता, समता और शुचिता का प्रतीक कहा जाता है। उन्होंने देशवासियों को गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं भी दीं।

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 आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं: प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम को बलात्कार के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनके समर्थकों की ओर से की गई हिंसा की घटनाओं की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि, आस्था के नाम पर हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगीद्य कानून हाथ में लेने का किसी को अधिकार नहीं है। रविवार को आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा अब तक की घटना पर चिंता जताई। हाल ही सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख बाबा राम रहीम को दोषी ठहराए जाने के बाद हरियाणा में भड़की हिंसा और करीब पांच राज्यों में पैदा हुए तनाव पर प्रधानमंत्री ने कहा कि कहा कि आस्था के नाम पर कानून को हाथ में लेने की घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।

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 उन्होंने कहा कि संविधान में सबको न्याय पाने के लिए पर्याप्त अधिकार दिए गए हैं। उन्होंने हिंसा की घटनाओं में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई का संकेत देते हुए कहा कि कानून हाथ में लेने वाले व्यक्ति या समूह को न तो ये देश और न ही कोई सरकार बर्दाश्त करेगी। उन्होंने कहा कि दोषियों को कानून सजा देगा। गांधी जयंती पर चलाएं स्वच्छता ही सेवा मुहिमः प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी पर अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात में स्वच्छता का जिक्र करते हुए कहा कि अब तक 2 लाख 30 हजार से भी ज्यादा गांव अपने आपको खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि तीन वर्ष पूर्व गांधी जयंती के अवसर पर स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया गया थाद्य इस 2 अक्टूबर को उसको तीन साल हो जाएंगे।

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 प्रधानमंत्री  मन की बात कार्यक्रम के 35वें संस्करण में देशवासियों से अपील की कि सभी जन गांधी जयंती से 15-20 दिन पहले से ही स्वच्छता ही सेवा की एक मुहिम चलायें। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी से आह्वान करता हूं कि एक बार फिर गांधी जयंती से 15-20 दिन पहले से ही स्वच्छता ही सेवा की एक मुहिम चलाएं। पूरे देश में स्वच्छता के लिए माहौल बनाएं। आस-पड़ोस की बस्ती में जाएं, गांवों में जाएं लेकिन एक आंदोलन के रूप में काम करें। प्रधानमंत्री ने सभी गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ), स्कूलों, कॉलेजों, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक नेतृत्व को सरकार के अफसरों को, कलेक्टरों, सरपंचों से आग्रह किया कि 2 अक्टूबर के पहले ही 15 दिन हम एक ऐसी स्वच्छता का वातावरण बनाएं कि 2 अक्टूबर सचमुच में गांधी के सपनों जैसा हो जाए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के मित्र रचनात्मक अभियान चला सकते हैं और वर्चुअल वर्ल्ड का धरातल पर काम हो, उसकी प्रेरणा बना सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने किया शिक्षकों से देश बदलने का आह्वान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी शिक्षक दिवस को संज्ञान में लाते हुए शिक्षकों से राष्ट्र परिवर्तन की दिशा में बड़ी भूमिका अदा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब परिवर्तन की बात होती है तो जैसे परिवार में माँ की याद आती है वैसे ही समाज में शिक्षक की याद आती है। उन्होंने कहा, इस बार जब हम शिक्षक दिवस मनाएं, क्या हम सब मिलकर के एक संकल्प कर सकते हैं? एक मिशन मोड में एक अभियान चला सकते हैं? परिवर्तन के लिए सिखाना, शिक्षित कर मजबूत बनाना और सीख कर नेतृत्व करने के इस संकल्प के साथ इस बात को आगे बढ़ा सकते हैं क्या?

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी याद में 5 सितम्बर को हम सब शिक्षक दिवस मनाते हैं। उन्होंने कहा, वो हमेशा शिक्षक के रूप में ही जीना पसंद करते थे। वे शिक्षा के प्रति समर्पित थे। एक अध्येता, एक राजनयिक, भारत के राष्ट्रपति लेकिन हर पल एक जीते-जागते शिक्षक। मैं उनको नमन करता हूं। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को उद्धरित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने छात्रों में सृजनात्मक भाव और ज्ञान का आनंद जगाना ही एक शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण गुण है।