नई दिल्ली, केन्द्र सरकार ने आज जोर दिया कि हमारा लक्ष्य देश से बाल श्रम को पूरी तरह से समाप्त करना है और इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम कल्याण परियोजना को आगे बढ़ाया जा रहा ताकि ऐसे बच्चों का पुनर्वास एवं सामाजिक आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सके।
लोकसभा में चंद्रकांत खैरे के पूरक प्रश्न के उत्तर में श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि बाल एवं किशोर श्रम प्रतिषेध एवं विनियमन अधिनियम 1986 में अन्य बातों के साथ साथ किसी व्यवसाय या प्रक्रिया में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन अथवा कार्य पर पूर्ण प्रतिषेध का प्रावधान किया गया है। इसमें जोखिमकारी व्यवसायों और प्रक्रियाओं में किशोरों (14 से 18 वर्ष) के नियोजन पर प्रतिबंध है।
मंत्रीबंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सरकार बाल श्रम के उन्मूलन हेतु बहु-विध कार्यनीति अपना रही है। इसमें सांविधिक और विधायी उपाय, पुनर्वास और सामाजिक आर्थिक विकास हेतु अन्य योजनाओं के साथ समेकन सहित सार्वभौम प्रारंभिक शिक्षा शामिल है। दत्तात्रेय ने कहा कि विधिक उपायों के अलावा सरकार बाल श्रमिकों के पुनर्वास हेतु राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) का 1988 से कार्यान्वयन कर रही है। इस योजनाओं का मुख्य उद्देश्य बच्चों को कार्य से हटाकर उन्हें औपचारिक शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में लाना है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में 2014 से 2016 के दौरान बाल श्रम से जुड़े 7,08,344 निरीक्षण विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किये गए जिसमें से 6920 अभियोजना और 2200 दोषसिद्धियां हुई।