बाजार की उथलपुथल होगी कम, आर्थिक संकेतकों पर रहेगी नजर

मुंबई, विश्व बाजार के मिलेजुले रुख के बीच स्थानीय स्तर पर नीचे भाव पर हुई भारी लिवाली की बदौलत बीते सप्ताह लगभग दो प्रतिशत तक उछले घरेलू शेयर बाजार में कई राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त होने से उथलपुथल कम होने की उम्मीद हैलेकिन निवेशकों की नजर आगामी आर्थिक संकेतकों पर रहेगी।

बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 1567.11 अंक अर्थात 2.02 प्रतिशत की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 79117.11 अंक पर पहुंच गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 374.55 अंक यानी 1.6 प्रतिशत मजबूत होकर 23907.25 अंक पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी लिवाली का जाेर रहा। इससे मिडकैप 739.62 अंक अर्थात 1.7 प्रतिशत उछलकर सप्ताहांत पर 45029.22 अंक और स्मॉलकैप 230.95 अंक यानी 0.44 प्रतिशत चढ़कर 52612.93 अंक हो गया।

विश्लेषकों के अनुसार, पिटे हुए शेयरों की मजबूत खरीददारी की बदौलत बाजार ने शुक्रवार को जबरदस्त उछाल के साथ बीते सप्ताह के नुकसान की भरपाई कर ली। हालांकि निवेशकों को इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए बाजार की प्रवृत्ति में बदलाव के बारे में अधिक स्पष्टता की जरूरत है कि वर्तमान उछाल सांता क्लॉज रैली में बदल जाएगा। निवेशकों ने अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका में समन जारी होने से उत्पन्न खौफ को नजरअंदाज कर दिया है और उम्मीद जताई है कि राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे बाजार में और अधिक स्थिरता लाएंगे।

कई ब्लू चिप कंपनियां औसत से कम मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में सार्थक सुधार व्यापक आधार वाली गति के लिए अवसर प्रदान कर रहे हैं। रियल्टी, एफएमसीजी, ऑटो, खपत, बैंक और आईटी समूह के शेयरों में दो प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। अमेरिका में रोजगार के मजबूत आंकड़े और डॉलर में मजबूती से घरेलू बाजार में आईटी शेयरों को समर्थन मिला है।

अधिकांश राज्यों में विधानसभा चुनाव अब समाप्त हो चुके हैं और बाजार में स्थिरता आ सकती है क्योंकि आने वाले महीनों में वित्त वर्ष 2024-25 के पूंजीगत व्यय लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी खर्च में सुधार होगा। अच्छे मानसून, त्यौहार और शादी के सीजन से उपभोग मांग पर असर पड़ सकता है। निवेशकों की नजर आगामी आर्थिक संकेतकों जैसे पीएमआई, औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) और महंगाई के आंकड़े पर रहेंगी ताकि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में कॉर्पोरेट आय में 10 से 12 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा सके।

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