बाबरी मस्जिद मामले में आडवाणी, जोशी समेत 13 पर चलेगा आपराधिक षडयंत्र का केस

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

बाबरी मस्जिद मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित 13 नेताओं पर आपराधिक षडयंत्र का मामला चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज यह फैसला दिया. इसमें रोजाना सुनवाई होगी। धारा 120 (बी) के तहत मामला चलाया जाएगा। इस ट्रायल को दो साल में खत्म करने की बात सुप्रीम कोर्ट ने कही है। इसके लिए मामले की लखनऊ कोर्ट में रोजाना सुनवाई होगी.

वहीं केस को रायबरेली से लखनऊ ट्रांसफर कर दिया है. जहां तक सुनवाई रायबरेली में हो गई थी, उससे आगे की सुनवाई वहां होगी. साथ ही मामले से जुड़े जजों के तबादले पर रोक लगा दी गई है. सीबीआई को आदेश दिया है कि इस मामले में रोज उनका वकील कोर्ट में मौजूद रहे. सुप्रीम कोर्ट ने अभी कल्याण सिंह को इस मामले से बाहर रखा है. क्योंकि वह राजस्थान के गवर्नर हैं। जबतक वह गवर्नर रहेंगे तबतक उनपर कोई केस रजिस्टर नहीं होगा। केंद्रीय मंत्री उमा भारती पर भी केस चलेगा.

इससे पूर्व 6 अप्रैल के आदेश को सुरक्षित रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम इस मामले में इंसाफ़ करना चाहते हैं. महज़ टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दे सकती और उनके खिलाफ साज़िश का ट्रायल चलना चाहिए. हम डे टू डे सुनवाई कर दो साल में सुनवाई पूरी कर सकते हैं. वहीं आडवाणी की ओर से दोबारा ट्रायल पर आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना होगा, जो काफ़ी मुश्किल है. सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में इन नेताओं के ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश का ट्रायल चलाए जाने की मांग की थी. साथ ही साज़िश की धारा हटाने के इलाहाबाद हाइकोर्ट के फ़ैसले को रद्द किया जाना चाहिए.

1992 में बाबरी मामले में बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी,  यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 13 नेताओं पर आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई थी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महज टेक्निकल ग्राउंड पर इनको राहत नहीं दी जा सकती और इनके खिलाफ साजिश का ट्रायल चलना चाहिए.

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में दो अलग-अलग अदालतों में चल रही सुनवाई एक जगह क्यों न हो? कोर्ट ने पूछा था कि रायबरेली में चल रहे मामले की सुनवाई को क्यों न लखनऊ ट्रांसफर कर दिया जाए, जहां कारसेवकों से जुड़े एक मामले की सुनवाई पहले से ही चल रही है. वहीं लालकृष्ण आडवाणी की ओर से इसका विरोध किया गया. कहा गया कि इस मामले में 183 गवाहों को फिर से बुलाना पड़ेगा जो काफी मुश्किल है. कोर्ट को साजिश के मामले की दोबारा सुनवाई के आदेश नहीं देने चाहिए.

सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि आडवाणी,  यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश का ट्रायल चलना चाहिए. सीबीआई ने कहा था कि रायबरेली के कोर्ट में चल रहे मामले का भी लखनऊ की स्पेशल कोर्ट के साथ ज्वाइंट ट्रायल होना चाहिए. इलाहाबाद हाईकोर्ट के साजिश की धारा को हटाने के फैसले को रद्द किया जाए.

दरअसल आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और बीजेपी, विहिप के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. इससे संबंधित अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया . हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दी थी. पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई उसके (एजेंसी के) कहने पर नहीं हुई. सीबीआई ने एक हलफनामे में कहा था कि सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है. सभी फैसले मौजूदा कानून के आलोक में सही तथ्यों के आधार पर किए जाते हैं.

इन नेताओं पर चलेगा मुकदमा- लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, सतीश प्रधान, सी आर बंसल, साध्वी ऋतंभरा, आर वी वेदंती, जगदीश मुनि महाराज, बी एल शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धर्म दास, सतीश नागर।