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उन्होंने आर्थिक विशेषज्ञों, सलाहकारों और नीति निर्धारकों से अनुरोध करते हुए कहा कि वह अर्थशास्त्र की पुरानी परिपाटियों को पीछे छोडकर व्यावहारिक सोच अपनाएं और देश की जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियां तय करें।
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उन्होंने कहा कि आज हमें ऐसी आर्थिक नीति की दरकार है जो सिर्फ बड़े उद्योगपतियों के फायदे की न हों बल्कि जिसमें मझोले और छोटे कारोबारियों तथा किसानों के हितों का भी पूरा ख्याल रखा जाए। ऐसा इसलिए जरूरी है क्योंकि ये छोटे उद्योग ही थे जो वैश्विक मंदी के दौर में भी अपना अस्तित्व बचाए रखने में कामयाब रहे थे। उस खतरनाक दौर में देश की अर्थव्यवस्था को इन्होंने ने ही मजबूत आधार दिया था।
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संघ प्रमुख ने कहा कि आर्थिक नीतियां तय करते समय उनमें रोजगार सृजन और उचित पारिश्रमिक को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह लोगों में उद्यमिता को बढ़ावा दे। इसके लिए उनके कौशल विकास में मदद करे।
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संघ प्रमुख का यह बयान ऐसे समय आया है जबकि देश की आर्थिक नीतियों को लेकर पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली के बीच घमासान चल रहा है। सिन्हा ने नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचने का हवाला देते हुए सरकार की आर्थिक नीतियों पर बड़े सवाल खड़े किए हैं।