भाजपा में बगावत- रमाकांत यादव को नजरअंदाज करना महंगा पड़ा

bjpआजमगढ़,  आजमगढ़ में टिकट घोषणा से पहले ही भाजपा में बगावत हो गई है। पार्टी के पूर्व सांसद रमाकांत यादव ने सपा में शामिल होने की बात तो सिरे से खारिज कर दी लेकिन भाजपा में हो रही अनदेखी को खुल कर बयां किया।

रमाकांत यादव ने साफ किया कि टिकट बंटवारे में उनकी अनदेखी की गई है और वे तीन सीटो पर अपने निर्दल उम्मीदवार उतारने जा रहे हैं। रमाकांत के बागी होने का मतलब है कि आजमगढ़ में भाजपा की लुटिया डूबना। शुरू से यह चर्चा भी रही है कि यदि रमाकांत यादव सदर से उतरते है तो पार्टी का खाता खुल जाएगा। आजादी के बाद जितने भी विधानसभा चुनाव हुए है भाजपा इस जिले में कुछ खास नहीं कर पाई है। वर्ष 1991 की राम लहर में सुरक्षित सीट सरायमीर और मेहनगर पार्टी जीतने में जरूर सफल रही थी लेकिन हार जीत का अंतर मामूली था। इसके बाद वर्ष 1996 के चुनाव में भाजपा को लालगंज सीट मिली थी। इसके बाद भाजपा यहां खाता नहीं खोल पाई है।

लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव ही थे जिन्होंने वर्ष 2009 में कमल खिलाकर सदर सीट पर इतिहास रचा था। विधानसभा में तो कई सीटों पर भाजपा के लोग अपनी जमानत भी नहीं बचा पाते हैं। या यूं कहें कि यहां भाजपा की हालत बिल्कुल कांग्रेस जैसी है। हर प्रत्याशी को पहले से पता होता है कि परिणाम क्या होने वाला है। रमाकांत के बगावत के बाद पार्टी के लिए अच्छा प्रदर्शन करना मुश्किल होगा। बता दें कि रमाकांत यादव को पूर्वांचल के यादव अपना नेता मानते हैं और इसका प्रमाण लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था जब मुलायम सिंह यादव के लिए आजमगढ़ सीट जीतने में मुश्किल खड़ी हो गई थी। रमाकांत चाहते थे कि आजमगढ़ में कम से कम उन्हें तीन सीट मिले और वे अपने हिसाब से चुनाव लड़ सके। शुरू में यह चर्चा थी कि बीजेपी उन्हें तीन सीट देने के लिए तैयार है, लेकिन वह चाहती है कि खुद रमाकांत यादव सदर सीट से चुनाव लड़े। खुद रमाकांत यादव ने छह माह पहले कहा था कि यदि पार्टी चाहेगी तो वे चुनाव लड़ेंगे। अब चर्चा है कि पार्टी उन्हे सिर्फ एक सीट फूलपुर दे रही है जिससे रमाकांत यादव नाराज है कारण कि रमाकांत यादव ने अपने गृह क्षेत्र की सीट फूलपुर पवई से अपने पुत्र पूर्व विधायक अरूण यादव के लिए टिकट मांगा था जबकि दीदारगंज से वे अपने भाई लल्लन यादव की पुत्रवधु ब्लाक प्रमुख अर्चना यादव को चुनाव लड़ाना चाहते है। इसी तरह रमांकात यादव चाहते थे कि निजामाबाद सीट से उनकी पत्नी को टिकट मिले, लेकिन भाजपा ने सिर्फ एक सीट ही देने का फैसला किया है। इस मामले में पूर्व सांसद रमाकांत यदव का कहना है कि कि सपा में शामिल होने की बात पूरी तरह अफवाह है, यह किसी शरारती तत्व का काम है लेकिन भाजपा ने टिकट वितरण में उनकी अनदेखी की है। इसलिए उन्होंने निर्दल चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अब दीदारगंज, फूलपुर पवई और निजामाबाद सीट से वे निर्दल प्रत्याशी मैदान में उतारेंगे। यदि रमाकांत यादव तीन सीटों पर निर्दल मैदान में उतरते है तो इसका नुकसान सिर्फ भाजपा को ही नहीं बल्कि सपा को भी होगा। रमाकांत के मैदान में उतरने के बाद यादव मत तो बटेंगे ही साथ ही इन क्षेत्रों में जहां सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुई वहां के दलित भी रमाकांत के साथ खड़े हो सकते है।

Related Articles

Back to top button