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भारत में तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की अपार क्षमता हैं: ओम बिरला

आगरा, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने आज उत्तर प्रदेश के आगरा में यूपी ऑयल मिलर्स एसोसिएशन द्वारा आयोजित 45वें रबी ऑल इंडिया तिलहन सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि तिलहन उत्पादन के क्षेत्र में भारत में आत्मनिर्भर बनने की अपार क्षमता है।

ओम बिरला ने सेमीनार को संबोधित करते हुए कहा कि सभी हितधारकों – किसानों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों और उद्योग जगत के प्रमुखों – से दृढ़ संकल्प के साथ एकजुट होकर भारत को तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और इस क्षेत्र में नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आग्रह किया।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि भारत में खाद्य तेल की मांग इसकी घरेलू आपूर्ति से कहीं अधिक है, श्री बिरला ने उद्योग जगत के प्रमुखों और तेल मिल मालिकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप आयात निर्भरता को कम करने के समाधान खोजने और इनोवशन करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि भारत परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, और यह आवश्यक है कि हमारे किसान इस परिवर्तन के प्रमुख वाहक बनें और उन्हें अपनी उपज के लिए उचित मूल्य मिले।

ओम बिरला ने कहा कि हमारे किसानों और तेल प्रसंस्करण उद्योग को मिलकर काम करना चाहिए और इस बात पर जोर दिया कि अनुसंधान तथा नई और बेहतर तकनीकों के साथ उच्च गुणवत्ता वाले तिलहन का उत्पादन किया जाना चाहिए । कृषि वैज्ञानिकों और ऑयल मिलर्स एसोसिएशन से उत्कृष्टता और आत्मनिर्भरता के लिए सक्रिय रूप से सहयोग करने का आग्रह किया।

विधानसभा अध्यक्ष ने वैज्ञानिकों से जलवायु के अनुकूल, अधिक उपज वाले उन्नत किस्मों के बीज विकसित करने का आग्रह भी किया, जिससे तिलहन उत्पादन में निरंतर वृद्धि हो । उन्होंने प्रमुख विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ शोध कार्य में सहयोग के महत्व तथा भारतीय तेलों के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जनता को जागरूक बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बात का उल्लेख करते हुए कि मध्य भारत की मिट्टी और जलवायु तिलहन की खेती के लिए अत्यधिक अनुकूल हैं जहां अक्सर न्यूनतम सिंचाई की आवश्यकता होती है, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा की गई पहलों से सिंचाई के बुनियादी ढांचे में सुधार हुआ है और कृषि उत्पादन क्षमता बढ़ी है।

पोषाहार में भारतीय तिलहन फसलों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, श्री बिरला ने आर्थिक सुरक्षा के साथ ही पोषण सुरक्षा में वृद्धि के लिए स्वदेशी तेलों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने स्वदेशी तेलों को अपनाने के महत्व की पुष्टि करते हुए याद दिलाया कि हमारे आस-पास की मिट्टी और जलवायु में जो प्राकृतिक रूप से उगता है, वही हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक लाभकारी है।

उन्होंने तिलहन क्षेत्र के विकास को ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन से जोड़ते हुए किसानों को आधुनिक तकनीक अपनाने, उचित प्रशिक्षण प्राप्त करने और बेहतर पैदावार तथा अधिक आय के लिए सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री बिरला ने छोटे क्षेत्रों में स्टार्ट-अप की मदद से उपलब्ध अपार अवसरों पर प्रकाश डालते हुए जैविक खेती तथा तिलहन उत्पादों के प्रसंस्करण, पैकेजिंग और वितरण में उद्यमियों की भागीदारी का आह्वान किया ।

उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि 45वें रबी ऑल इंडिया तिलहन सेमिनार में होने वाले विचार-विमर्श से भारत के तिलहन उद्योग को एक नई दिशा मिलेगी और आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी ।

इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री, एस.पी. सिंह बघेल और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।