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भारत में मुश्किल से अच्छी फिल्मों को सराहना मिलती है – तनिष्ठा चटर्जी

Capture63-580x395मुंबई,  फिल्म रफ बुक, एंग्री इंडियन गॉडेसेस और पार्च्ड में दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी का कहना है कि अधिकांश भारतीय फिल्मों में बढ़िया कहानियों के बजाय गलैमर और मशहूर कलाकारों का प्रभाव व स्टारडम नजर आता है। हालांकि, उनका मानना है कि अब यह परिदृश्य बदलता हुआ नजर आ रहा है। गार्थ डेविस निर्देशित तनिष्ठा की हालिया फिल्म लॉयन छह श्रेणियों में ऑस्कर पुरस्कारों के लिए नामांकित हुई है।

अभिनेत्री कहती हैं कि भारतीय लड़के पर आधारित यह फिल्म अपनी कहानी की वजह से दुनिया भर में सराही गई है। लेकिन, उनका कहना है कि दर्शकों की सराहना भी समान महत्व रखती है। तनिष्ठा ने कहा, इससे पहले भी मैंने अंतर्राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में काम किया है। मेरी फिल्मों में से एक फिल्म ब्रिक लेन को विदेशों में बहुत सराहना मिली। यहां तक मैं बाफ्टा पुरस्कार के लिए भी नामांकित हुई। लेकिन, भारत में ऐसी फिल्मों को ज्यादा सराहना नहीं मिलती क्योंकि हम मुश्किल से ही अच्छे सिनेमा का जश्न मनाते हैं।

फिल्म लॉयन में काम मिलने के बारे में पूछे जाने पर अभिनेत्री ने बताया कि भारत दौरे पर आए गार्थ डेविस से उनकी मुलाकात हुई थी। उन्होंने कहा था कि वह उनके  और नवाजुद्दीन सिद्दीकी जैसे कलाकारों के साथ काम करना पसंद करेंगे और बाद में गार्थ ने उन्हें ईमेल के जरिए पटकथा भेजकर फिल्म में काम करने का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि हलांकि फिल्म में उनकी भूमिका छोटी है लेकिन खास है। वह इसे निभाकर और डेविस के साथ काम कर खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं। फिल्म लॉयन शुक्रवार को भारत में रिलीज हो रही हैं।

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