नयी दिल्ली, आम आदमी पार्टी सरकार की शिक्षा नीति को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस शिक्षा नीति में कहा गया है कि माध्यमिक स्तर पर छठे अनिवार्य विषय के तौर पर संस्कृत जैसी भाषाओं की जगह व्यवसायिक विषय लेंगे। एक सोसाइटी की ओर से दर्ज कराई गई इस जनहित याचिका का दावा है कि सरकारी स्कूलों पर लागू होने वाले इस फैसले का परिणाम उर्दू, संस्कृत और पंजाबी जैसी भाषाओं के विलुप्तीकरण के रूप में सामने आएगा।
यह याचिका सीबीएसई के उस सकुर्लर को भी चुनौती देती है, जिसने ‘नेशनल स्किल्स क्वालिफिकेशन्स फ्रेमवर्क’ के तहत पंजीकृत स्कूलों के लिए 10वीं कक्षा के मूल्यांकन की योजना को बदल दिया है। ऐसे स्कूलों में, छात्रों को अनिवार्य तौर पर छठा विषय पढ़ना होगा। यह विषय व्यवसायिक विषय होगा। इसके अलावा पांच मूल विषय पढ़ने होंगे, जिनमें दो भाषाएं, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान शामिल होंगे।
याचिकाकर्ता सोसाइटी संस्कृत शिक्षक संघ दिल्ली के अनुसार, भाषाओं के स्थान पर व्यवसायिक विषयों को लाने का आप सरकार का फैसला राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ है। वकील हर्ष आहूजा और कुशल कुमार द्वारा दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि दिल्ली सरकार का यह कदम संस्कृत, पंजाबी, उर्दू भाषा और भारतीय संस्कृति को अपूर्णनीय क्षति पहुंचाएगा।