भारत की संसद पर हमले और पुलवामा अटैक सहित भारत में कई आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार मसूद ने 1986 में अपने असली नाम और पते के साथ पाकिस्तानी पासपोर्ट बनवाया था। उसने अफ्रीकी और खाड़ी देशों का विस्तृत दौरा किया था, जहां उसे यह अहसास हुआ कि अरब के देश ‘कश्मीर के उसके उद्देश्य’ को लेकर गंभीर नहीं हैं। भारत में सुरक्षा एजेंसियों के पास मौजूद अजहर की पूछताछ से संबंधित रिपोर्ट के मुताबिक, उसने अक्टूबर 1992 में इंग्लैंड का दौरा किया था। लंदन के साउथ हॉल स्थित मस्जिद के मौलवी मुफ्ती इस्माइल ने उसके यात्रा का प्रबंध किया था। गुजरात के रहने वाले इस्माइल ने कराची स्थित दारुल-इफ्ता, वल-इरशाद से पढ़ाई की थी।
पूछताछ के दौरान मसूद ने बताया था, ‘मैं इस्माइल के साथ ब्रिटेन में एक महीने तक रहा और बर्मिंघम, नॉटिंघम, बरले, शेफिल्ड, डड्सबरी और लीसेस्टर के कई मस्जिदों में गया। जहां मैंने कश्मीरी आतंकियों के लिए वित्तीय सहायता मांगी। मैं 15 लाख पाकिस्तानी रुपये जमा कर पाया।’ मसूद ने इस दौरान मसूद ने ब्रिटेन में मुस्लिम नेताओं से मुलाकात की, जिसमें भारतीय मूल के मुस्लिम भी शामिल थे जो मंगोलिया और अल्बानिया में मस्जिद बनाने के काम में लगे हुए थे। 90 के दशक के शुरुआती सालों में अजहर ने सऊदी अरब, अबु धाबी, शारजाह, कीनिया, जाम्बिया का दौरा किया था और कश्मीर में मौजूद आतंकियों के लिए फंड जुटाया था।
उसने सऊदी अरब का भी दौरा किया था और फंड जुटाने वाली दो एजेंसियों से संपर्क भी किया, लेकिन उसे खाली हाथ लौटना पड़ा। इनमें से एक जमात-उल-इशलाह था जो कि जमात-ए-इस्लामी का सहयोगी था। मसूद ने पूछताछ के दौरान कहा था, ‘अरब देश कश्मीर के मसले पर कोई सहायता नहीं देना चाहते थे।’ अबु धाबी में उसने 3 लाख, शारजाह में 2 लाख और दूसरी बार सऊदी दौरे पर 2 लाख पाकिस्तानी रुपये जुटाए थे।
मसूद 1994 में फर्जी पुर्तगाली पासपोर्ट के साथ भारत में घुसा और चाणक्यपुरी के अशोका होटल में रुका, जो कि डिप्लोमेटिक एन्क्लेव में मौजूद है। उसने आव्रजन अधिकारियों को यह कह कर चकमा दे दिया कि वह जन्म से गुजराती है। अगले दो सप्ताह के भीतर ही वह जम्मू-कश्मीर में पकड़ा गया। इसके पहले वह लखनऊ, सहारनपुर और दारुल-उलूम देवबंद का दौरा कर चुका था।