मुंबई, वर्ष 2008 मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने आज बंबई उच्च न्यायालय में आरोप लगाया कि महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दल (एटीएस) ने उनके खिलाफ फर्जी सबूत जुटाए और यहां तक कि राष्ट्रीय जांच दल (एनआईए) भी एटीएस की जांच से असहमत है।
न्यायमूर्ति आरवी मोरे और न्यायमूर्ति शालिनी फानसाल्कर जोशी की खंडपीठ उनकी जमानत याचिका खारिज करने के एक सत्र अदालत के आदेश खिलाफ पुरोहित की अपील पर सुनवाई कर रही थी। पुरोहित को मुस्लिम बहुल मालेगांव शहर में विस्फोट करने के लिए जनवरी से सितंबर 2008 के बीच दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा रची गई साजिश में कथित रूप से शामिल होने पर पांच नवंबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था। जांच पहले एटीएस ने संभाली थी लेकिन बाद में इसे एनआईए को सौंप दिया गया।
एनआईए ने इस मामले से मकोका के कठोर प्रावधान हटा दिये थे और मुख्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित कुछ आरोपियों को क्लीन चिट दी थी। पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवडे ने आज आरोप लगाया कि एटीएस ने उनके मुवक्किल के खिलाफ झूठे और फर्जी सबूत जुटाए और एनआईए के आरोपपत्र के सबूतों से यह साफ है। उच्च न्यायालय गुरुवार को दलीलें सुनने का काम जारी रखेगा।