नई दिल्ली, मद्रास हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट ट्रांसफर किए जाने से नाखुश ने कहा है कि मुझे निशाना बनाया गया क्योंकि मैं दलित हूं। मैं शर्मिंदा हूं कि मेरा जन्म भारत में हुआ है। मैं ऐसे देश में जाना चाहता हूं जहां जातिप्रथा न हो। सोमवार को जस्टिस जगदीश सिंह केहर और आर भानुमति की डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया कि जस्टिस करनन को कोई भी केस न दिया जाए।करनन ने मद्रास हाईकोर्ट के सीनियर जज, चीफ जस्टिस संजय कौल पर प्रताड़ना और अपमान करने के मामले में केस दर्ज करने की धमकी देने का आरोप लगाया था।पिछले हफ्ते CJI की अध्यक्षता वाले एक पैनल ने जस्टिस करनन का मद्रास हाई कोर्ट से कोलकाता हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था।
कोर्ट के निर्देश से पहले जस्टिस करनन ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी किए गए उनके ट्रांसफर के आदेश पर खुद ही स्टे लगा दिया। करनन ने ट्रांसफर करने के लिए CJI टीएस ठाकुर से लिखित सफाई भी मांगी।सुप्रीम कोर्ट के उन्हें केस दिए जाने पर रोक लगाए जाने पर करनन का कहना है, ‘मेरा ज्यूडिशियल पावर अब भी मेरा पास है।’जज ने कहा, ‘मैं इस मामले में खुद संज्ञान लेते (सुओ-मोटो) चेन्नई पुलिस कमिश्नर को निर्देश दूंगा कि वे एफआईआर दर्ज कराएं।’अपने ट्रांसफर पर खुद स्टे लगाने वाले करनन को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच ने निर्देश दिया है कि उन्हें किसी भी तरह का कोई केस नहीं सौंपा जाए।सूत्रों के मुताबिक NJAC (नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन) को रद्द करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने बड़ी संख्या में हाई कोर्ट जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की है।