कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले क्षेत्र में बहने वाली बड़ी गंडक नदी नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्र पोखरा में मूसलधार बारिश के कारण फिर उफान पर आ गयी है। गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वाल्मीकिनगर गंडक बैराज से रविवार की सुबह से लगातार पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। 6.48 लाख क्यूसेक डिस्चार्ज से खड्डा से लेकर तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के तटबंधों पर नदी का दबाव बढ़ गया है। खड्डा के भैंसहा गेज पर नदी खतरे के निशान से 25 सेमी ऊपर बह रही है।
खड्डा तहसील क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोगों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। डुग्गी.मुनादी करा तहसील प्रशासन की ओर से गांवों को खाली करने की अपील की जा रही है।
तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के नरवाजोत से अहिरौलीदान तक एपी तटबंध पर भी नदी का दबाव बढ़ गया है। नोनियापट्टी व कचहरी टोला के लोगों की चिंता बढ़ गई है। लोग पलायन की तैयारी में जुट गए हैं।
आज सुबह नेपाल के देवघाट से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया। यह पानी जब वाल्मीकिनगर गंडक बैराज पर पहुंचा तो बैराज पर दबाव बढ़ने लगा। अभियंताओं ने सभी 36 फाटकों को तीन से चार फुट तक उठा दिया। बड़ी गंडक नदी में 6.48 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया। इससे नदी उफान पर आ गई। खड्डा रेताक्षेत्र के शिवपुर, मरिचहवा, बसंतपुर, शाहपुर समेत आधा दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस जाने से लोग सुरक्षित जगह की तलाश में जुट गए हैं। घरों में पानी घुस जाने के कारण लोग ऊंचे मचान पर सामान रखकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी बीच खड्डा तहसील प्रशासन के एसडीएम ऋषभ राज पुंडरी ने नाव पर सवार होकर बाढ़ ग्रस्त ईलाके घूम कर लोगों की सहायता की।
वहीं बारिश के चलते छितौनी तटबंध के लक्ष्मीपुर पड़रहवा व भैसहा गांव के सामने कई जगहों पर बड़े.बड़े रेनकट बन गए हैं। इससे तटबंध पर भी संकट मंडरा रहा है। गंडक के जलस्तर में वृद्धि की जानकारी के बाद तहसील प्रशासन भी सतर्क हो गया है। बाढ़ प्रभावित गांवों पर अफसर नजर रख रहे हैं। राजस्वकर्मियों को भी मुस्तैद रहने के निर्देश दिए गए हैं। बाढ़ खंड के अभियंता तटबंधों की निगरानी में जुट गए हैं।
वाल्मीकिनगर गंडक बैराज पर दबाव बढ़ने के बाद गंडक नदी में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। वाल्मीकिनगर गंडक बैराज के अभियंताओं का कहना है कि डिस्चार्ज अभी और बढ़ने की आशंका है। छह लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने के अलर्ट के बाद जिला प्रशासन के अलावा सिंचाई विभाग भी सक्रिय हो गया है। बाढ़ प्रभावितों के भोजन व उनके ठहरने की व्यवस्था की जा रही है।
रेताक्षेत्र के मरिचहवा, बसंतपुर, शिवपुर, हरिहरपुर, नरायनपुर, महदेवा, सालिकपुर व विंध्याचलपुर गांवों के घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है। सड़कों पर पानी भर जाने से छोटी नाव चलाई जा रही है। एक गांव से दूसरे गांवों का संपर्क टूट गया है। लोग नाव से आने.जाने को मजबूर हैं। मरिचहवा के दक्षिण टोला व बसंतपुर में हालात काफी खराब हैं। लोग सामान को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। सोलर लाइट के भरोसे लोग रात गुजार रहे थेए लेकिन बारिश के कारण यह भी काम नहीं कर रहा है। मोबाइल चार्ज नहीं होने के कारण लोगों का आपस में संपर्क नहीं हो पा रहा है। महिलाओं, बुजुर्ग, बच्चों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं।
बाढ़ के कारण हैंडपंप भी डूब गए हैं। पेयजल की समस्या के साथ नित्य कर्म में भी दिक्कत हो रही है। पशुओं के चारे का भी संकट खड़ा हो गया है। बाढ़ प्रभावित गांवों के लोगों का कहना है कि उनके सामने भोजन-पानी की भी समस्या उत्पन्न हो गई है। मवेशियों को बाढ़ के पानी में खड़ा करना पड़ा है। तहसील प्रशासन की ओर से डुग्गी-मुनादी तो कराई गई हैए लेकिन इन समस्याओं के प्रति अफसर गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं।
मरिचहवा के ग्राम प्रधान इजहार का कहना है कि स्थिति काफी खराब है। गांव में पानी भरने से लोग दुश्वारियां झेल रहे हैं। महराजगंज जिले के सोहगीबरवा गांव में ऊंचे स्थान पर भोजन बनवाने की व्यवस्था की जा रही है। वहां से नाव के जरिए पैकेट मंगाकर यहां के लोगों के घरों तक पहुंचाने की कवायद की जा रही है। पानी लगातार बढ़ रहा है। आने वाले समय में दुश्वारियां और बढ़ने की आशंका है।
बड़ी गंडक नदी के जलस्तर में वृद्धि से नरवाजोत से अहिरौलीदान तक एपी तटबंध पर दबाव बढ़ गया है। इससे तटबंधों के किनारे बसे गांवों के लोग बाढ़ व कटान की चिंता से सहम गए हैं। उनका कहना है कि गंडक के उफान से बांध को नुकसान पहुंचता है तो तबाही मच जाएगी। हालांकिए बाढ़ खंड के अभियंताओं ने तटबंधों पर निगरानी तेज कर दी है।
सेवरही क्षेत्र में नरवाजोत से अहिरौलीदान तक बड़ी गंडक नदी 17.5 किलोमीटर में बहती है। जलस्तर बढ़ने से नरवाजोत से अहिरौलीदान तक के अधिकतर ठोकरों व तटबंधों से नदी टकराने लगी है। यह खतरे का संकेत है। विरवट कोन्हवलिया में ठोकर नंबर-चार कट एंड वन से लेकर कट एंड टू बांध पर नदी टकराने से तटबंधों की सुरक्षा पर खतरा बढ़ गया है। बीते दिनों नदी इसी जगह पर तबाही मचा चुकी है।
नरवाजोत में किमी 1.700 पर निर्मित ठोकर नदी के निशाने पर है। इसी तरह एपी तटबंध के किमी 1.400, किमी 2.800, किमी 3.050 किमी 3.500, किमी 4.500, किमी 7.000, किमी 10.518 और किमी 14.500 पर भी ठोकरों व तटबंधों पर भी नदी की धारा टकरा रही है।
तटबंध के किनारे बसे गांव नरवाजोत, घघवा जगदीश, जवही दयाल, मुसहर टोली, विरवट कोन्हवलिया, बाकखास, बाघाचौर, नोनियापट्टी, कचहरी टोला के लोगों की चिंता बढ़ गई है।
इस संबंध में एसडीओ रमेश यादव ने बताया कि तटबंधों की सुरक्षा विभाग की प्राथमिकता है और हर स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है। फिलहाल बांध पर दबाव तो हैए लेकिन वह पूरी तरह से सुरक्षित है। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है।