नई दिल्ली. मोदी सरकार ने किसानों को ये बड़ा तोहफा दिया. मोदी सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) बनवाना पहले से काफी आसान कर दिया है. सरकार के निर्देश पर इंडियन बैंकर एसोसिएशन ने केसीसी बनाने की प्रोसेसिंग फीस, इंस्पेक्शन, लेजर फोलियो, रिनुअल फीस और नए केसीसी जारी करने के लिए सभी अन्य सर्विस चार्ज माफ कर दिए हैं.
इससे किसी भी किसान के लिए क्रेडिट कार्ड बनवाना पहले से बहुत आसान हो गया है. केसीसी के लिए ये सारी फीस माफ करने की जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में दी. यही नहीं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेहन मुक्त कृषि कर्ज की लिमिट 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.60 लाख रुपये कर दी है.
मोदी सरकार ने सभी राज्य सरकारों को बैंक-वार और गांव-वार शिविर आयोजित करने की सलाह दी है, ताकि पात्र किसानों को भटकना न पड़े. केसीसी आवेदन पत्र गांवों से लेकर संबंधित बैंक शाखा में जमा करना होगा. बैंकों को सलाह दी गई है कि वे आवेदन पूरा होने के 2 सप्ताह के भीतर केसीसी जारी करें. राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति इसकी निगरानी करेगी.
आप बैंक जाइए, अधिकारी को किसान क्रेडिट कार्ड बनाना ही पड़ेगा. अगर बैंक अधिकारी मना कर रहा है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है. सरकार चाहती है कि किसान साहूकारों से ज्यादा ब्याज दर पर लोन लेने की जगह बैंक से सबसे सस्ती दर पर क्रेडिट कार्ड के जरिए लोन हासिल करे. खेती के लिए तीन लाख रुपये तक का कर्ज मिलता है. इसके लिए गांवों में जो कैंप लगाए जाएंगे उनमें किसान से पहचान पत्र और निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जमीन का रिकॉर्ड और फोटो देनी होगी. इतने में ही बैंक को केसीसी बनाना पड़ेगा.
देश में इस समय 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं, जबकि केसीसी सिर्फ 6.92 करोड़ किसानों के पास ही हैं. मोदी सरकार ने इसे बनवाने की प्रक्रिया तेज की है. केसीसी की शुरुआत 1998 में हुई थी और इसके नियम इतने जटिल थे कि किसान बनवाने से कतराता था. अब गांवों में किसान मित्र किसानों की सिफारिश कर रहे हैं कि वे बैंक जाकर केसीसी बनवाएं. जिला स्तर पर डिस्ट्रिक्ट लीड बैंक मैनेजर इसके लिए जवाबदेह है और राज्य स्तर पर राज्य की बैंकिंग एसोसिएशन.
सरकार चाहती है कि खेती-किसानी से जुड़े अधिक से अधिक लोग केसीसी बनवाएं. इसके लिए इसकी कवरेज बढ़ाकर पशुपालन और मछलीपालन के लिए भी कर दी गई है. पशुपालन और मछलीपालन के लिए 2 लाख रुपये का लोन मिलता है. खेती-किसानी के लिए ब्याज दर वैसे तो 9 परसेंट है. लेकिन सरकार इसमें 2 परसेंट की सब्सिडी देती है. इस तरह यह 7 प्रतिशत पड़ता है. लेकिन समय पर लौटा देने पर 3 फीसदी और छूट मिल जाती है. इस तरह इसकी दर ईमानदार किसानों के लिए मात्र 4 फीसदी रह जाती है. कोई भी साहूकार इतनी सस्ती दर पर किसी को कर्ज नहीं दे सकता.