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मौनी अमावस्या पर संगम तीरे उमड़ा आस्था का रेला

प्रयागराज,  लोक आस्था का महापर्व माघ मेला के तीसरे सबसे बड़े स्नान पर्व “मौनी अमावस्या” पर 2.09 करोड़ श्रद्धालुओं ने ठंड को धता बताते हुए त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाई। ठंड पर आस्था की लहर भारी पड़ी।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आस्था, विश्वास और संस्क़ृतियों के संगम में शाम छह बजे तक दो करोड़ नौ लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया।
स्नान भोर चार बजे आरंभ हो गया था। संगम में डुबकी लगाने के लिए उमड़े जन सैलाब के बीच आधी रात शुरू हुई बारिश ने लाखों श्रद्धालुओं की परेशानी बढ़ा दी। माघ मेला क्षेत्र में सड़कों और पटरियों पर जमे बड़ी संख्या में लोग भीग कर ठिठुरते रहे। उधर, शिविरों में भी कई जगह पानी जमा हो गया। इससे श्रद्धालुओं ठंड के साथ बारिश की दोहरी मार का सामना करने के लिए मजबूर हो गए।

बच्चे, बूढ़े और युवाओं ने एक साथ त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाकर जाति, धर्म और भाषा की दीवार ढ़हा दिया। शहर में चारों तरफ से संगम की तरफ बढ़ रहे आस्था के कदमों में कड़ाके की ठंड भी रोक नहीं रोक पाई। सभी मां गंगा में पुण्य की डुबकी लगाने को आतुर नजर आ रहे थे।

त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगाते समय श्रद्धालुओं, साधु-संतो और कल्पवास करने वाले कल्पवासियों ने अपने ऊपर हैलीकाॅप्टर से कई चक्र में गुलाब और गेंदे के फूल के पंखुड़ियों की पुष्प वर्षा पाकर निहाल जरूर हो गये वहीं रात में हुई बारिश ने लाखों श्रद्धालुओं की परेशानी भी बढ़ा दी।

मौनी अमावस्या के पर्व पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत साधु-संत, अखाड़े के मेला क्षेत्र में पहुंचे महामंडलेश्वर तथा किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्या नंद गिरी (टीना मां) के नेतृत्व में गोरखपुर की महामंडलेश्वर किरन नंद गिरी और मुंबई से पहुंची महामंडलेश्वर पवित्रा नंद गिरी समेत दो दर्जन से अधिक किन्नर संत हर-हर गंगे और ओम नमः शिवाय का उद्घोष करते हुए गंगा के तट पर पहुंचे और शाही अंदाज में अमृत स्नान किया।

महामंडलेश्वर टीना मां ने जोशीमठ में आई त्रासदी से मुक्ति और वैश्विक महामारी कोरोना के खात्मे के लिए मां गंगा और यमुना से प्रार्थना की। दूसरे किन्नर संतों ने विश्व में शांति स्थापित हो और की गंगा मइया से प्रार्थना किया।

जल पुलिस प्रभारी कड़े दीन यादव ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए इन्हें नियंत्रण करने का एक डर जरूर था लेकिन इसके लिए 100 गोताखोर तैनात किए गये थे। इसमें 30 सरकारी और 70 प्राइवेट हैं। उन्होंने बताया कि सभी घाटों पर चक्रमण करने के लिए 55 मोटर बोट के अलावा 100 छोटी नाव तैयार थी। दो टीम एनडीआरएफ और एक टीम एसडीआरएफ तैनात थी। जवानों की सक्रियता ने स्नान पर्व को सुगमता पूरा किया।