नई दिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जल्द ही पंजाब विश्वविद्यालय में छात्रों को अर्थशास्त्र पढ़ाते हुए नजर आएंगे। दरअसल, मनमोहन सिंह ने लाभ के पद से संबंधित संसदीय समिति से सवाल किया था कि क्या शिक्षण का काम लाभ का पद, तो नहीं माना जाता है। वह जानना चाह रहे थे कि उनके आर्थिक लाभ वाले शिक्षक के पद को धारण करने से कहीं सासंद के पद से उन्हें इस्तीफा तो नहीं देना होगा। इस पर संबंधित संसदीय समिति ने गुरुवार को फैसला किया कि सांसद रहते हुए अस्थायी शिक्षण से संबंधित कार्यों को लाभ के पद के दायरे में नहीं माना जा सकता। पैनल के प्रमुख भाजपा सांसद सत्य पाल सिंह ने कहा कि हमने इस बारे में स्थिति साफ कर दी है। मनमोहन सिंह के द्वारा किए जाने वाले शिक्षण के काम को लाभ के पद के दायरे में नहीं लाया जाएगा। पैनल ने इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय और कानून मंत्रालय से राय मांगी थी। वहां से लिखित प्रतिक्रिया मिलने के बाद में यह फैसला कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि मनमोहन सिंह को डेली अलाउंस के रूप में 5000 रुपए दिए जाएंगे, जो कि फिक्स्ड सैलेरी नहीं है। उनका पद भी स्थाई नहीं है इसलिए यह काम लाभ के पद के दायरे में नहीं आएगा। गौरतलब है कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने इस साल अप्रैल में घोषणा की थी कि पूर्व पीएम मनमोहन यूनिवर्सिटी में खाली पड़े जवाहर लाल नेहरू चेयर को हेड करेंगे। सिंह ने यूनिवर्सिटी की इस पेशकश को स्वीकार भी कर लिया था। पूर्व पीएम सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में 1954 में एमए किया था और 1957 में बतौर प्रवक्ता अपने करियर की शुरुआत की थी। वह 1963 में यहीं प्रोफेसर बने। आरबीआई के गवर्नर और दस साल तक देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद अब वह फिर से पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्रों को पढाएंगे।