यूपी में तेजी से बढ़ रहा है एमएसएमई का दायरा
लखनऊ, जनसंख्या घनत्व के मामले में देश में अव्वल उत्तर प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में एमएसएमई क्षेत्र के विस्तार में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी दर्ज की गयी है।
एमएसएमई निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों में, उत्तर प्रदेश में एमएसएमई क्षेत्र 9.7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ा है। लगभग 96 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं, जो लगभग 1.75 करोड़ लोगों के लिए रोज़गार सृजित करती हैं, राज्य के निर्यात में 46 प्रतिशत और औद्योगिक उत्पादन में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान देती हैं। हालाँकि, बड़ी संख्या में एमएसएमई ऐसे भी हैं जो तकनीकी बदलावों, किफायती दरों पर समय पर ऋण न मिलने और कुशल मानव संसाधन की कमी के कारण अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश ने एक लाख 63 हजार 324 करोड़ रुपये के नए निवेश प्रस्ताव आकर्षित किए हैं जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा एक लाख 59 हजार 200 करोड़ रुपये था।
एमएसएमई ईपीसी के अध्यक्ष डॉ. डी.एस. रावत ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 और 2024-25 के बीच, राज्य ने छह लाख 14 हजार 49 करोड़ रुपये की परियोजनायें आकर्षित की हैं। ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) से लिए गए हैं। 2024-25 में एक लाख 63 हजार 323 करोड़ रुपये के निवेश में से, निजी क्षेत्र ने एक लाख 20 हजार 455 करोड़ रुपये के प्रस्तावों की घोषणा की है। यह भी ध्यान दिया गया कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा फिनटेक, एआई, एडटेक और डीप-टेक स्टार्टअप्स के लिए प्रमुख केंद्रों के रूप में उभर रहे हैं, जहां प्रमुख वैश्विक कंपनियाँ निवेश में रुचि दिखा रही हैं। कारखानों और औद्योगिक रोज़गार के मामले में यह राज्य शीर्ष राज्यों में शुमार है।
“यूपी में 2021-22 से 2024-25 के बीच निवेश, विकास और वृद्धि” पर अध्ययन के दूसरे संस्करण को जारी करते हुए, रावत ने कहा, 2021-22 के दौरान, सभी परियोजनाओं के लिए नया निवेश एक लाख 18 हजार 625 करोड़ रुपये का था, 2022-23 में एक लाख 72 हजार 900 करोड़ रुपये, 2023-24 में कुल प्रस्ताव एक लाख 59 हजार 200 करोड़ रुपये और 2024-25 में एक लाख 63 हजार 323 करोड़ रुपये के थे।
2024-25 में, 64 हजार 634 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पूरे हो चुके थे और 15 लाख 55 हजार 855 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ लंबित थीं। इसलिए, लागत वृद्धि से बचने के लिए, एमएसएमई ईपीसी ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर प्रस्तावों को शीघ्रता से पूरा करने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के गठन का सुझाव दिया है। अध्ययन में पाया गया कि नौ लाख 34 हजार 543 करोड़ रुपये की परियोजनाएँ कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में थीं।
वर्तमान मूल्यों पर उत्तर प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2023-24 में 25.48 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में लगभग 27.99 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2023-24 में, राज्य की जीएसडीपी वृद्धि 11.6 प्रतिशत रही। 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र में 13 प्रतिशत की वृद्धि, कृषि में 7.3 प्रतिशत और सेवाओं में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
एमएसएमईईपीसी के अध्यक्ष रावत ने कहा कि राज्य तेज़ी से विकास कर रहा है, फिर भी कई ऐसे अवसर अभी भी मौजूद हैं जिनका अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो राज्य की अर्थव्यवस्था को और भी बढ़ावा मिल सकता है। इनमें कृषि प्रसंस्करण, हेरिटेज पर्यटन, हरित अर्थव्यवस्था, लॉजिस्टिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले शीर्ष तीन राज्यों में शामिल है, खासकर आगरा, वाराणसी, लखनऊ, अयोध्या और सारनाथ। यह राज्य उत्तर प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में लगभग 13-14 प्रतिशत का योगदान देता है और आतिथ्य, हस्तशिल्प, परिवहन और सेवाओं के क्षेत्र में रोज़गार का एक प्रमुख स्रोत है। राज्य को अपनी पर्यटन क्षमता का पूरा दोहन करने के लिए बुनियादी ढाँचे, वैश्विक ब्रांडिंग और स्थानीय भागीदारी को एक साथ लाना होगा।





