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ये व्यापारी कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच होने लगे प्रभावित

झांसी, देश और उत्तर प्रदेश के झांसी में लगातार बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या ने विवाह से जुड़े व्यापारियों के लिए फिर से एक बुरे दौर की शुरूआत कर दी है। संक्रमण के खतरे और शासन-प्रशासन की ओर से जारी किये गये कड़े कोविड प्रोटोकॉल के बीच लोग वैवाहिक कार्यक्रमों से बचते नजर आने लगे हैं।

संक्रमितों की तेजी से बढ़ रही रफ्तार ने वैवाहिक कार्यक्रमों की तैयारियों पर बहुत खराब असर डाला है। आगामी 16 जनवरी से शुरू होने जा रहे शुभ मुहुर्त के मद्देनजर लोगों ने विवाह घरों और होटलों की बुकिंग कर ली थी लेकिन अब रात का कर्फ्यू शुरू होने के साथ मेहमानों की संख्या भी सीमित करने को लेकर नये निर्देश जारी कर दिये गये हैं जिसके कारण होटलों और बरात घरों की पहले से की गयी बुकिंग भी लोग रद्द करने लगे हैं।

शादी समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों की संख्या सीमित किये जाने से केटरर्स समुदाय भी प्रभावित होने लगा है और पहले दिये गये ऑर्डर भी कम किये जा रहे हैं। हालात और बिगड़ने की आशंका के बीच लोग कार्ड छपवाने और बारात के लिए बैंड तथा बाजा वालों से संपर्क करने से भी बच रहे हैं।

इन कारणों से विवाह घर, कैटर्स, कार्ड छपाई ,सजावट और बैंड बाजा आदि व्यवसाय से जुड़े लेागों का कारोबार बुरी तरह से प्रभावित होने लगा है। केटरिंग व्यापार से जुड़े व्यवसायियों ने बताया कि दो साल से कोरोना के कहर ने उनके व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी है पिछले कुछ महीनों से हालात कुछ सामान्य होने के बाद कारोबार ने कुछ राह पकड़नी शुरू की ही थी कि फिर से तीसरी लहर की आशंका ने व्यवसाय चौपट करना शुरू कर दिया है। लोग ऑर्डस कम कर रहे हैं और हम पहले ही कारीगरों को पैसा दे चुके हैं यह तो नुकसान है ही आगे के ऑडर्स भी या तो लोग रद्द कर रहे हैं या कम कर रहे हैं। इन दोनों की स्थितियों में हमारे लिए हालात बहुत खराब हो गये हैं।

कार्ड व्यापारियों के अनुसार जनवरी और फरवरी के लिए तो कार्डों की छपाई और डिलीवरी हो भी चुकी है लेकिन अब आगे की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। लोग संक्रमण के डर से फिर से मांगलिक कार्यों को टालने में लग गये हैं। पिछले दो साल में हमारा कारोबार बुरी तरह चौपट हो चुका है और अब फिर हालात बहुत खराब नजर आ रहे हैं।

सजावट और बैंड बाजा व्यवसायियों ने बताया कि कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच अब लोग खुशी में नहीं बल्कि मजबूरी में अपने आयोजनों को पूरा भर करना चाह रहे हैं और इस मानसिकता में सजावट और बैंड बाजा लोगो के लिए बस वैकल्पिक ही हो रहा है। इसका प्रभाव हमारे कारोबार की कमर तोड़ रहा है।