लखनऊ, सूबे में योगी आदित्यनाथ सरकार अब गति पकड़ चुकी है। मुख्यमंत्री की तेज कार्यशैली के कारण न सिर्फ मंत्री उनका अनुसरण कर रहे हैं, बल्कि नौकरशाहों को भी इसी चाल से काम करने की नसीहत दे दी गई है। उत्तर प्रदेश की सियासत में लम्बे समय बाद ऐसा वक्त देखने को मिला है, जब ऊपर से नीचे तक न सिर्फ औचक निरीक्षण हो रहे हैं। शासन के एजेण्डे मुताबिक काम करने के लिए बैठकें की जा रही हैं,बल्कि काम पूरा करने की समय सीमा भी निर्धारित कर दी गई है। सार्वजनिक अवकाश से लेकर शनिवार और रविवार को आराम फरमाने के आदी हो चुके अधिकारी अब फाइलों में माथामच्ची करते हुए निर्देश जारी करते देखे जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जानते हैं कि यूपी जैसे बड़े राज्य को चलाना कई देशों की सत्ता चलाने के बराबर है। इस पर भी 2019 में लोकसभा चुनाव होने के कारण उनकी सरकार के पास जनता की कसौटी पर खरा उतरने के लिए महज दो साल का वक्त है। इसलिए पांच साल के काम को दो साल में करना सरकार के लिए बेहद जरूरी है। यही वजह है कि उन्होंने कहा है कि हम यहां बैठने नहीं आये हैं। सत्ता मौज-मस्ती का अड्डा नहीं है। यह हमारे लिए साधना है। इस दृष्टिकोण से हम काम कर रहे हैं। वैसे भी भाजपा खुद को पार्टी विथ डिफरेंस कहती आई है, इसलिए अब खास तरीके से काम करन भी योगी सरकार के लिए बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को जहां सत्ता की चकाचौंध से दूर रहने की सलाह दी है, वहीं उन्हें सरकारी पैसों का अपनी सुख-सुविधा के लिए इस्तेमाल करने से भी रोका है। इसका असर भी देखने को मिला है और मंत्री बिना किसी तामझाम और साज-सज्जा के खर्च के बगैर बंगलों में दाखिल हो रहे हैं, जबकि इससे पहले कुछ और ही नजारा देखने को मिलता है। सरकार बदलते ही मंत्रियों की फरमाइश के मुताबिक वहां खर्च किया जाता था।
सीएम योगी ने इसके साथ ही मंत्रियों को अपने विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए काम करने की सलाह दी है। उनसे कहा गया है कि उनके कार्य की समय-समय पर समीक्षा भी होगी और खरा नहीं उतरने पर सरकार दूसरों को काम करने का मौका देगी। इसके साथ ही मंत्रियों को अवकाश के दिनों में काम से दूर रहने के बजाय रोज की तरह काम करने की नसीहत दी गई है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कार्यभार ग्रहण करने के बाद शनिवार-रविवार को अधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। मंत्रियों से विभिन्न विषयों पर चर्चा की जा रही है और फरियादी की फरियाद भी सुन रहे हैं। उन्होंने सख्त हिदायत दी है कि सरकारी दफ्तरों में कौन सी फाइल किस टेबल पर कब आयी और उसके निस्तारण में अधिकारी ने कितना वक्त लिया, इसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। कोई भी फाइल एक हफ्ते से ज्यादा किसी टेबल पर नहीं रहनी चाहिए। किस अधिकारी के पास फाइल कब पहुंची और उसने कब साइन किया, हर चीज स्पष्ट होनी चाहिए। मुख्यमंत्री की दिनचर्या भी बेहद अनुशासन में होने के कारण अब उनके साथ रहने वाले लोग भी इसी के आधार पर काम करने में जुटे हैं।