लखनऊ, यूपी को-आपरेटिव बैंक प्रबंध समिति ने सपा सरकार के दौरान वर्ष 2015 में हुई भर्ती को निरस्त करते हुए 50 सहायक प्रबंधकों को बर्खास्त कर दिया है. चयनित सभी सहायक प्रबंधकों पर आरोप लगा था कि ये अफसरों और नेताओं के करीबी थे और इनकी नियुक्ति के लिए जरूरी शैक्षणिक योग्यता में भी फेरबदल किया गया था.
यूपी को-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष तेजवीर सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को यूपीसीबी प्रबंध समिति की बैठक में सभी सहायक प्रबंधकों को एक माह का वेतन देकर नौकरी से हटाने का फैसला लिया गया। आरोप लगाने वाले जय सिंह के मुताबिक प्रबंधकों में सहकारिता विभाग के अपर आयुक्त, अपर निबंधक के बेटे और एक निजी सचिव की बेटी भी शामिल है.
कायदे-कानून को ताक पर रखकर विधायकों और प्रभावशाली व्यक्तियों के परिवारीजनों को रेवड़ी की तरह नौकरी बांटी गई थी. जिसके बाद 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए. तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार ने आईएएस अधिकारी पीके उपाध्याय से जांच करवाई, जिसमें सभी शिकायतें सही पाई गईं. तब यूपीसीबी के तत्कालीन एमडी को निलंबित कर दिया गया था.