प्रतापगढ़, अबकी बार प्रतापगढ़ की सियासत बदली बदली सी नजर आ रही है। उत्तर प्रदेश और प्रतापगढ़ में अपनी पकड़ रखने वाले दो धुरंधर नेता अबकी एक साथ नजर आ रहे हैं। एक तरफ राजा भैया तो दूसरी तरफ प्रमोद तिवारी हैं। प्रतापगढ़ जिले की सातों विधानसभा सीटों पर इन दोनों नेताओं की हनक रहती है। प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट पर प्रमोद तिवारी का एकक्षत्र राज रहा है। इस सीट से तिवारी अजेय रहे हैं। तिवारी इस सीट से 1980 से 2012 तक लगातार 9 विधायक रहे हैं। कांग्रेस द्वारा राज्यसभा सांसद बनाए जाने के बाद तिवारी तिवारी की इस सीट पर उनकी बेटी अराधना मिश्रा ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। भाजपा ने रामपुर खास से इस बार नागेश सिंह को टिकट दिया है जो दावा करते हैं कि वह तिवारी के इस तिलिस्म को तोड़ देंगे। रामपुर खास सीट के अलावा विश्वनाथगंज सहित कई सीटों पर प्रमोद तिवारी अपना प्रभाव रखते हैं।
इस बार गठबंधन होने की वजह से माना जा रहा है कि प्रतापगढ़ सपा-कांग्रेस गठबंधन का नया गढ़ बनेगा। क्योंकि एक तरफ राजा भैया और दूसरी तरफ तिवारी के होने की वजह से यहां के राजनीतिक समीकरण बिल्कुल बदल गए हैं। हालांकि राजा भैया निर्दल उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन वह अखिलेश यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और फिलहाल अखिलेश यादव के साथ उनके अच्छे संबंध भी हैं। अखिलेश यादव ने राजा भैया की सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है और ना ही कांग्रेस ने। राजा भैया का कुंडा विधानसभा सीट पर प्रभाव हमेशा से रहा है। वह 1993 से लगातार यहां से विधायक चुनते आ रहे हैं। हालांकि राजा भैया को समय-समय पर भाजपा भी अपना समर्थन देती रही है। राजा भैया भाजपा के दो सरकारों में मंत्री भी रहे हैं। कुंडा के अलावा राजा भैया का बाबागंज (सुरक्षित) सीट पर प्रभाव रहता है। वह अपने दम पर बाबागंज सीट पर चुनाव जीता लेते हैं। बाबागंज से इस बार राजा भैया के खास कहे जाने वाले विनोद सरोज चुनाव लड़ रहे हैं। बताया जा रहा है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन में कुंडा विधानसभा सीट सपा के पास और बाबागंज कांग्रेस के पास आई थी। लेकिन राजा भैया के प्रभाव को देखते हुए सपा ने कुंडा में उनको समर्थन दिया है जबकि कांग्रेस ने बाबागंज सीट पर उनके खास विनोद सरोज को समर्थन दिया है। जिले में इस बार सपा तीन सीटों पर जबकि कांग्रेस दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है।