उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में मंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में चल रहे राष्ट्रगान को बीच में रोक दिया। जबकि बगल में मौजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हे ऐसा करने से रोका, पर राज्यपाल नही माने उन्होने राष्ट्रगान को बीच में ही रुकवा दिया। आजम खान ने इसे देष और संविधान का अपमान बताया है।
हुआ यह कि राजभवन में उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्रियों का शपथ ग्रहण पूरा हो चुका था। शपथ ग्रहण के बाद मुख्य सचिव अलोक रंजन ने कहा कि, यदि माननीय राज्यपाल जी की आज्ञा हो तो इस कार्यक्रम के समाप्त होने की घोषणा की जाए ? राज्यपाल ने उन्हें कार्यक्रम खत्म करने की इजाजत दे दी। इसके बाद जैसे ही राष्ट्रगान बजाना शुरू किया गया, राज्यपाल को अचानक याद आया कि वह लोगों को सरदार पटेल की जयंती के मौके पर राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलवाना चाहते थे और उन्होंने, राष्ट्रगान रोको राष्ट्रगान रोको कहकर राष्ट्रगान बीच में ही रुकवा दिया। इसके बाद उन्होंने सरदार पटेल की जयंती पर खास तौर पर बनाई गई राष्ट्रीय एकता की शपथ पढ़ी और वहां मौजूद लोगों से भी पढ़वाई। चलता हुआ राष्ट्रगान बीच में रुकवाकर शपथ पढ़ने पर विवाद षुरु हो गया है। राष्ट्रगान बीच में रुकवा देने पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि राज्यपाल नरेन्द्र मोदी को खुश करने के चक्कर में पड़े हैं। बीएसपी अध्यक्ष ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि, राज्यपाल मोदी को खुश करने के चक्कर में सपा सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के खत्म होने के बाद राष्ट्रगान तक रुकवा दिया। अखिलेश यादव सरकार में संसदीय कार्यमंत्री आजम खान ने कहा कि यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि राज्यपाल, जो एक संवैधानिक पद पर हैं, राष्ट्रगान बीच में रुकवाकर उसमें कोई दूसरा कार्यक्रम करने लगें। यह देष और संविधान का अपमान है। राज्यपाल का कहना है कि यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एकता की शपथ के बाद ही खत्म होना था। चूंकि राष्ट्रीय एकता की शपथ नहीं हो सकी थी इसलिए राष्ट्रगान बीच में रुकवाना पड़ा। इसका मतलब किसी तरह भी राष्ट्रगान का अपमान नहीं है।