रेल मंत्री ने जल-रहित शौचालय, विकसित करने की वकालत की
April 27, 2017
नई दिल्ली, रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने पानी की कमी के मुद्दे से निपटने के लिए जल-रहित शौचालय विकसित करने की वकालत की है। प्रभु ने लोगों को शौचालय का उचित तरीके से प्रयोग करना और उपयोग के बाद उसे गंदा नहीं छोडने के बारे में सघन जागरूकता अभियान चलाने पर भी जोर दिया।
फिक्की की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रभु ने कहा, स्वच्छता और जल साथ-साथ हैं। देश में अनेक लोग हैं जिनके पास स्वच्छ पानी और शौचालय उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मस्तिष्कों को साथ आकर जल-रहित और दुर्गंध-रहित शौचालय विकसित करने चाहिए। रेलवे ने नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए 50 करोड़ रूपये का प्रावधान किया है।
उन्होंने कहा, अगले दो वर्षों में रेल के सभी डिब्बों में बायो-शौचालय होंगे और हमने पायलट परियोजना के तहत बायो-वैक्यूम शौचालय भी विकसित किया है। रेलवे परिसरों में स्वच्छता रखने संबंधी कदमों का हवाला देते हुए, केन्द्रीय मंत्री ने कहा, हमने स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया है और दो रूट हरित कोरिडोर बन गये हैं, क्योंकि इन मार्गों से गुजरने वाली सभी रेलगाडियों में बायो-शौचालय लगा हुआ है। ये दो रेल मार्ग हैं..। 141 किलोमीटर लंबा ओखा-कनालुस रेल मार्ग और दूसरा है गुजरात में 34 किलोमीटर लंबा पोरबंदर-वंसजालिया रेल मार्ग।