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लापता पर्वतारोहियों के सभी शव लाये गये पिथौरागढ़…

नैनीताल, डेयर डेविल्स अभियान के तहत भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस  को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। आईटीबीपी की ओर से नंदा देवी अभियान के दौरान हिमस्खलन की चपेट में आये सात पर्वतारोहियों के शवों को बुधवार को पिथौरागढ़ ले आया गया है।

नंदा देवी के आधार शिविर से शवों को लाने के लिये वायुसेना की ओर से सुबह अभियान चलाया गया। इस अभियान में वायुसेना के दो चीता व एक एमआई-17 हेलीकाप्टर लगाये गये। चीता हेलीकाप्टरों से पर्वतारोहियों के शवों को पहले मुनस्यारी लाया गया। पहली बार में चार पर्वतारोहियों के शवों को मुनस्यारी पहुंचाया गया। इसके बाद एमआई-17 हेलीकाप्टर से इन शवों को पिथौरागढ़ के नैनी सैनी हवाई अड्डे लाया गया।

जिलाधिकारी डा0 विजय जोगदंडे ने बताया कि सभी आवश्यक कार्यवाही के बाद शवों को पोस्टमार्टम के लिए हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कालेज भेज दिया जाएगा है। प्रशासन द्वारा केन्द्र सरकार को सूचित करने की कार्यवाही की जा रही है। सरकार संबंधित दूतावासों को सूचना भेजेगी और इसके बाद शवों को लेने की कार्यवाही अमल में लायी जायेगी। तब तक शवों को मेडिकल कालेज में सुरक्षित रखा जाएगा।  इससे पहले कल मंगलवार को आईटीबीपी के पर्वतारोही दल की ओर से सभी शवों को नंदा देवी के आधार शिविर पर पहुंचाया गया था।

उल्लेखनीय है कि पिछले महीने विदेशी पर्वतारोहियों का एक दल नंदा देवी (पूर्व) के अभियान पर गया था। चार पर्वतारोही अभियान को पूरा कर आधार शिविर लौट आये थे लेकिन आठ पर्वतारोही लापता हो गये थे। इनमें से सात विदेशी व एक भारतीय लाइजनिंग आफिसर शामिल था। माना जा रहा है कि ये पर्वतारोही हिमस्खलन की चपेट में आ गये थे। इसके बाद से वायुसेना तथा आईटीबीपी की ओर से पर्वतारोहियों की तलाश के लिये अभियान चलाया गया। सर्वे के दौरान वायुसेना के जवानों को नंदा देवी क्षेत्र में कुछ शव दिखायी दिये। ऐसा माना जा रहा था कि पर्वताराहियों की हिमस्खलन की चपेट में आने से मौत हो गयी है।

इसके बाद आईटीबीपी और वायुसेना की ओर से पर्वतारोहियों को खोजने के लिये आपरेशन डेयर डेविल्स अभियान चलाया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा और खतरनाक अभियान माना गया। इस अभियान के लिये आधुनिक उपकरणों के साथ साथ प्रदेश सरकार द्वारा दस लाख रूपये की धनराशि आवंटित की गयी। इस अभियान में आईटीबीपी के कुशल पर्वतारोहियों की एक टीम को भेजा गया।  विगत 23 जून को टीम को पहली सफलता हाथ लगी। टीम ने सात पर्वतारोहियों के शवों को बर्फ के नीचे से खोदकर निकाल लिया लेकिन आठवें पर्वतारोही का कोई पता नहीं चल पाया था। खराब मौसम और बारिश के कारण अभियान को बीच में रोकने का निर्णय लिया गया।  जिलाधिकारी जोगदंडे ने बताया कि कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण पर्वतारोहियों के शवों को आधार शिविर तक लाने में दल के सदस्यों को काफी मशक्कत करनी पड़ी है।