जनवादी लेखक संघ, प्रगतिशील लेखक संघ, जन संस्कृति मंच और दलित लेखक संघ ने जारी संयुक्त बयान में यह अपील की है। इससे पहले करीब सैकड़ों लेखकों, रंगकर्मियों तथा फ़िल्मी कलाकारों ने भी अलग.अलग बयान जारी करके इस तरह की अपील की है।
लेखक संगठनों द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में आरोप लगाया गया है कि ये पांच साल देश के इतिहास में एक दुस्वप्न की तरह याद किये जायेंगे। इन सालों में संघ की विचारधारा वाले शासकों ने हिटलर और मुसोलिनी के नक्शे कदम पर चलते हुए मुल्क को नफरत की आग में झोंक दिया।
इस मनुवादी मोदी सरकार ने शिक्षा, संस्कृति और स्वास्थ्य सम्बन्धी योजनाओं के बज़ट में कटौती की। अर्थव्यस्था चौपट हो गयी तथा बेरोजगारी और बढ़ गयी है। विज्ञप्ति में देश के मतदाताओं से कारपोरेट पसंद साम्प्रदायिक फासीवादी सरकार को दुबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए वोट करने की अपील की।