वैकल्पिक चिकित्सा पर ध्यान देने की आवश्यकता: उपराष्ट्रपति धनखड़

नयी दिल्ली, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने प्राचीन ग्रंथों के साक्ष्य-आधारित सत्यापन, डिजिटलीकरण, अनुवाद और बहुविषयक अध्ययन पर बल देते हुए गुरुवार को कहा कि यह ज्ञान अगली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज गोवा के राजधानी में महर्षि सुश्रुत और महर्षि चरक की प्रतिमाओं का अनावरण करते हुए कहा कि प्राचीन ग्रंथों के साक्ष्य-आधारित सत्यापन, डिजिटलीकरण, अनुवाद और उन्हें आधुनिक संदर्भों में उपयोगी बनाने के लिए अनुसंधान और नवाचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हम एक अलग प्रकार के राष्ट्र हैं। हम अपनी जड़ों को फिर से खोज रहे हैं और उन्हीं में दृढ़ता से स्थापित हो रहे हैं। मैं वैकल्पिक चिकित्सा पर विशेष बल देता हूँ क्योंकि भारत इसका जन्मस्थल है। यह आज भी व्यापक रूप से प्रचलित है। हमारे प्राचीन ग्रंथ केवल पुस्तकालयों की अलमारियों के लिए नहीं हैं। ये शाश्वत विचार हैं और इन्हें आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों की सहायता से पुनः जीवित करने की आवश्यकता है।” उन्होंने कहा कि वेदों,उपनिषदों, पुराणों और इतिहास में झांकने का समय आ गया है और बच्चों को जन्म से ही हमारी सभ्यतागत गहराई की जानकारी देनी चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा,“ कुछ वर्गों में यह प्रवृत्ति देखी जाती है कि ‘भारतीय या प्राचीन कुछ पिछड़ा है।’ यह मानसिकता अब आधुनिक भारत में स्वीकार्य नहीं है। दुनिया हमारी प्राचीन प्रणाली की महत्ता को पहचान रही है। समय आ गया है कि हम भी इसे पहचानें। यह धारणा कि केवल पश्चिम ही प्रगतिशील है। अब चलन से बाहर होनी चाहिए। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना है कि भारत आज संभावनाओं का केंद्र है।”
उन्होंने कहा कि सैकड़ों साल पहले भारत में तीन सौ से अधिक शल्य क्रियाएं, प्लास्टिक सर्जरी, अस्थि चिकित्सा और ‘सिजेरियन डिलीवरी’ भी की जाती थी। सुश्रुत के लेखन केवल शारीरिक रचना को नहीं दर्शाते, बल्कि वैज्ञानिक सोच, शुद्धता, प्रशिक्षण, स्वच्छता और रोगी देखभाल के उच्च मानकों को भी रेखांकित करते हैं।