इटावा, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव – 2017 के लिए सीएम अखिलेश यादव मैदान में उतर चुके हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन कर अखिलेश ने ज़ोर-शोर से दोबारा सरकार बनाने का प्रयास शुरू कर दिया है। ज़ाहिर है कि, अखिलेश द्वारा उठाए गए क़दमों से चाचा शिवपाल यादव को धक्का लगा है। केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
इटावा में समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव ने आज गणतंत्र दिवस के मौके पर बोलते हुए कहा कि ‘इस बार चुनाव धर्मयुद्ध है, ये कह कर उन्होंने साफ इशारा किया कि चाहे वह समाजवादी पार्टी में महज प्रत्याशी बनकर रह गए हो लेकिन पार्टी लाइन पर वह अखिलेश के साथ ही खड़े है.बता दें, कि मुलायम सिंह यादव की जगह अखिलेश यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित होने के बाद अब सपा में ‘अखिलेश युग’ का सूत्रपात हो गया है.
मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है. इसका कितना फायदा उसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा. इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था, सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहने वाला है. जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं, वहीँ विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है.
यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी. पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं.