नई दिल्ली, यूपी में मुलायम परिवार का झगड़ा अब सड़क पर आ गया है. अखिलेश से नाराज शिवपाल यादव ने मंत्री और पार्टी पदों से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद शिवपाल के समर्थक लखनऊ की सड़क पर उतर आए. वैसे उनके इस्तीफे नामंज़ूर किए जा चुके हैं लेकिन झगड़ा खत्म नहीं हुआ है. मुलायम परिवार भी दो खेमों में बंट गया है. ये तब हो रहा है जब यूपी में समाजवादी पार्टी को कुछ महीने में चुनाव में उतरना है.
शिवपाल यादव के पार्टी और सरकार के पदों से इस्तीफा दिया, शिवपाल के घर के बाहर समर्थकों का मजमा लग गया. कार्यकर्ता तो आए ही, 20 विधायक भी खुलकर शिवपाल के समर्थन में घर के बाहर जमा हो गए. जो दिखा उससे मुलायम के साए में राजनीति में पले-बढ़े शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के जननायक लगने लगे. यादव परिवार की इस पार्टी में पहली बार परिवार के एक सदस्य को उसी के परिवार से इंसाफ दिलाने के लिए बाहर के लोग आवाज उठाते सुने गए. कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटने पर शिवपाल यादव को भी सड़क पर आना पड़ा.
शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच चल रहा संघर्ष अपने चरम पर पहुंच गया. शिवपाल लगातार कह रहे थे कि जो नेताजी कहेंगे, वे वहीं करेंगे. ना जाने मुलायम ने क्या कह दिया कि शिवपाल ने अपने आत्मसम्मान के लिए परिवार, पार्टी और सरकार सबको सड़क पर ला दिया. दिल्ली से लखनऊ पहुंचकर शिवपाल, अखिलेश से मिलने गए. बंद कमरे में हुई मुलाकात के बारे में बाहर ये ख़बरें उड़ीं कि चाचा-भतीजा गले भी मिले. ना जाने ऐसा क्या हुआ कि अखिलेश मिलने से बाद समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव की सरकार हिल गई. शिवपाल ने पहले समाजवादी पार्टी के यूपी अध्यक्ष का पद छोड़ा, उसके बाद अखिलेश सरकार के मंत्री का पद भी छोड़ा दिया. इसी के साथ समाजवादी पार्टी के साधारण कार्यकर्ता बनकर रह गए शिवपाल.
अभी तो मुलायम सिंह ने गुस्से में दिए गए शिवपाल के सारे इस्तीफों को नामंजूर कर दिए हैं. शायद चाचा-भतीजे की जंग खत्म कराने के लिए उन्होंने कोई मास्टर स्ट्रोक बचा रखा हो. लेकिन विरोधी कह रहे हैं कि ये सब फैमिली ड्रामा चल रहा है.