नई दिल्ली, संयुक्त राष्ट्र के विकास में भारतीय नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि इसके भविष्य के रास्ते के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिशा निर्देश महत्वपूर्ण है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में राष्ट्रवासियों के साथ अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आज 24 अक्टूबर, को ‘सयुंक्त राष्ट्र दिवस’ मनाया जाता है। सयुंक्त राष्ट्र की स्थापना के समय से ही भारत इससे जुड़ हुआ है। आजादी से पहले 1945 में ही सयुंक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा, “ सयुंक्त राष्ट्र से जुड़ा एक अनोखा पहलू ये है कि सयुंक्त राष्ट्र का प्रभाव और उसकी शक्ति बढ़ाने में, भारत की नारी शक्ति ने, बड़ी भूमिका निभाई है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्ष 1947-48 में जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार का सार्वभौमिक घोषणा पत्र तैयार हो रहा था तो उसमें लिखा जा रहा था “ सभी पुरूष समान है”. लेकिन भारत के एक प्रतिनिधि ने इस पर आपत्ति जताई और फिर सार्वभौमिक घोषणा पत्र में लिखा गया – “ सभी मानव समान हैं।”. ये बात लैंगिक समानता की भारत की सदियों पुरानी परंपरा के अनुरूप थी। श्रीमती हंसा मेहता वह प्रतिनिधि थी जिनकी वजह से ये संभव हो पाया। उसी एक अन्य प्रतिनिधि श्रीमती लक्ष्मी मेनन ने लैंगिक समानता के मुद्दे पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी थी। वर्ष 1953 में श्रीमती विजया लक्ष्मी पंडित, संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष भी बनी ।