संविधान पीठ को जा सकता है नोट बंदी का मामला

supreme_court_scbaनई दिल्ली,  सुप्रीमकोर्ट मे 1000 और 500 के नोट बंदी का मामला पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ को भेजे जाने की मांग उठी। याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि योजना की संवैधानिक वैधता का सवाल है इसलिए इस पर पांच न्यायाधीशों की पीठ को सुनवाई करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि इससे पहले हुई नोट बंदी के दोनों मामले पांच न्यायाधीशों की पीठ ने सुने थे। हालांकि कोर्ट ने अभी इस मांग पर ज्यादा गौर नहीं किया है और विभिन्न हाईकोर्ट में लंबित याचिकाओं को एक जगह स्थानांतरित करने की केंद्र सरकार की अर्जी का जवाब आने तक मामले की सुनवाई टाल दी। अब स्थानांतरण याचिका और सुप्रीमकोर्ट में लंबित जनहित याचिकाओं पर एक साथ 2 दिसंबर को सुनवाई होगी।

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर व न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामला पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजे जाने की कपिल सिब्बल की मांग पर कहा कि वे पहले ये तो देख लें कि इसे बड़ी पीठ को भेजे जाने की जरूरत है कि नहीं। कोर्ट ने नोट बंदी को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के वकील सिब्बल से कहा कि इस मामले में दो पहलू शामिल हैं पहला संवैधानिक वैधता का और दूसरा लोगों को हो रही परेशानी की जमीनी हकीकत और उसके निराकरण का। आप लोगों की परेशानियों के निवारण के लिए क्या सुझाव देना चाहते हैं वो कहें। सिब्बल ने कहा कि उन्होंने केन्द्र का हलफनामा देखा है और उसके जवाब में वे सारे आंकड़े लेकर आए हैं।

कोर्ट मंगलवार को इस पर विस्तृत सुनवाई कर ले। उधर केंद्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने मामला पांच न्यायाधीशों को भेजे जाने का विरोध किया और कहा कि केंद्र ने शुक्रवार को हलफनामा दाखिल कर नोट बंदी योजना और आम जनता की सुविधा के लिए किये गए उपायों का ब्योरा दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसी मुद्दे पर विभिन्न हाई कोर्टो में लंबित याचिकाओं को एक जगह स्थानांतरित करने की केन्द्र की अर्जी पर 2 दिसंबर को सुनवाई होनी है। उसी दिन इस मामले मे भी सुनवाई हो ताकि सभी याचिकाकर्ता कोर्ट में मौजूद हों। रोहतगी ने कहा कि अभी तो कोर्ट को ये तय करना है कि सारे मामले दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित किये जाए या फिर सुप्रीमकोर्ट में मंगा लिये जाएं।

अगर मामले दिल्ली हाईकोर्ट स्थानांतरित होते हैं तो फिर सुप्रीमकोर्ट में लंबित याचिकाओं को भी वहीं भेज दिया जाना चाहिये। लेकिन सिब्बल ने रोहतगी पर सुनवाई में देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि लोग परेशान हैं। कैश नहीं है। यहां कोआपरेटिव आंदोलन और किसानों की दिक्कतों का मसला है इस पर सुप्रीमकोर्ट को ही सुनवाई करनी चाहिये। उन्होंने कहा कि कानूनन लोगों को बैंक से पैसा निकालने से नहीं रोका जा सकता।कई अन्य वकीलों ने भी नोट बंदी के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि बैंकों में कैश नहीं है लोग बहुत परेशान हैं। कोर्ट को तत्काल इस पर रोक लगानी चाहिए। कोर्ट ने सरकार और सिब्बल को हलफनामा दाखिल करने की छूट देते हुए सुनवाई 2 दिसंबर तक टाल दी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button