नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के हाथरस में दो जुलाई 2024 की भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त करने की गुहार वाली एक जनहित याचिका शुक्रवार को यह कहते हुए खारिज कर दी कि हर चीज संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आती।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी से उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा।
पीठ ने कहा, “बेशक, ये परेशान करने वाली घटनाएं हैं, लेकिन उच्च न्यायालय इससे निपटने के लिए सक्षम है।”
पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि मामला चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता से भी जुड़ा है।
इस पर पीठ ने कहा, “हर चीज संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आती है। आप इसे बड़ा मुद्दा बनाने के बजाय उच्च न्यायालय जाएं।”
अधिवक्ता श्री तिवारी ने सार्वजनिक समारोहों में हाथरस जैसी घटनाओं से बचने के लिए दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपाय सुझाने और तैयार करने के लिए संबंधित उच्चस्तरीय समिति को निर्देश देने की भी गुहार लगाई थी।
उन्होंने शीर्ष अदालत से उत्तर प्रदेश सरकार को भगदड़ की घटना पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने, लापरवाह आचरण के जिम्मेदार व्यक्तियों, अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने की भी मांग की थी।