धर्मनगरी वाराणसी में अब एक ऐसी अनोखी पहल होने जा रही है, जिससे यहां के पुरोहितों को बैठे-बैठे रोजगार मिल सकेगा और धार्मिक अनुष्ठान कराने के इच्छुक यजमानों को भी सहूलियत मिलेगी। जी हां, काशी के पंडितों के कर्मकांड कारोबार को अब ऑनलाइन करने की तैयारी हो रही है.
पूजा-पाठ कराने से लेकर वास्तु दोष दूर करने, भागवत-रामायण पाठ में महारत रखने वाले काशी के पंडितों की देश-दुनिया में हो रही मांग को देखते हुए यह पहल की जा रही है. बनारस में यह अनोखी पहल ‘च्वायस इंटरनेशनल कम्पनी’ और उससे जुड़े ‘मुंबई बेस चॉइस इंडिया ग्रुप’ की ओर से संयुक्त रूप से की जा रही है.
यजमान तक पहुंचने के लिए हवाईजहाज या फिर एसी का टिकट और होटल में ठहरने की व्यवस्था रहेगी और साथ ही दक्षिणा के तौर पर मोटी रकम मिलने की भी गारंटी होगी. च्वॉइस ग्रुप के एरिया हेड पीयूष शर्मा के अुनसार, इस पहल को लेकर विश्वविद्यालय से बातचीत चल रही है.
नियम और शर्ते तय होने के बाद संस्कृत विश्वविद्यालय के साथ समझौता किया जाएगा. काशी स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ‘पंडिताई कारोबार’ में नोडल एजेंसी के तौर पर काम करेगा. यहां के करियर एंड गाइडेंस सेल की प्रभारी विनिता सिंह की भूमिका कोआर्डिनेटर की होगी. कंपनी ने एक पोर्टल तैयार किया है. इससे जुड़ने के लिए ब्राह्मणों एवं संस्कृत के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में आवेदन करना होगा.
बनारस के पंडिताई कारोबार को बढ़ावा दिलाने के लिए हो रही इस पहल में रोचक बात यह है कि पंडितों की दक्षिणा भी ऑनलाइन ही तय हो जाएगी. सत्यनारायण भगवान की पूजा से लेकर नवरात्र पूजन, श्राद्ध पूजन, महाशिवरात्रि पूजा, लक्ष्मी पूजा और भागवत पाठ सहित 35 तरह की पूजा की सूची तैयार की जा रही है. बाहर जाकर पूजा कराने वाले ए ग्रेड के पंडितों को दक्षिणा में कम से कम 15 हजार रुपये की रकम मिलेगी.
आकलन समिति के सदस्य पंडित देवी प्रसाद द्विवेदी के मुताबिक, युवाओं के साथ ही बुजुर्ग पंडित भी इससे जुड़ने के लिए आगे आए हैं. सभी को अवसर देने का प्रयास किया जाएगा.