रायपुर, छत्तीसगढ़ की पहली ओलिंपियन हॉकी प्लेयर रेणुका यादव अन्य खिलाड़ियों की तरह खेल के अलावा किसी दूसरे सेक्टर में काम करना नहीं चाहती और न ही डीएसपी बनना चाहती हैं। वो तो सिर्फ खेल विभाग की सेवा करना चाहती है।
रेणुका का कहना है कि प्रदेश में हॉकी के तीन स्टेडियम हैं। इनके जरिए हॉकी के दिन फिर से लौट सकते हैं। अभी मुझे और हॉकी खेलनी है, साथ ही प्रदेश में हॉकी को बढ़ावा देने के लिए काम करना है। इसी वजह से उन्होंने सरकार से खेल विभाग में नौकरी मांगी है। रेणुका को खेल अलंकरण मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सम्मानित कर ओलिंपिक टीम का हिस्सा बनने के लिए 10 लाख रुपए का चेक दिया । साथ ही खेल विभाग में ग्रेड 2 की नौकरी देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की।
वे अभी 11वीं में हैं, 12वीं पास करते ही खेल विभाग में नौकरी का प्रस्ताव दिया गया। उम्मीद की जा रही थी कि रेणुका को ग्रेजुएशन के बाद डीएसपी पद दिया जा सकता है। रेणुका ने बताया कि मेरी दिली इच्छा हॉकी के लिए काम करने की है। पहले तो मुझे खेलना है और उसके बाद मैं हॉकी अकादमी से जुड़ना चाहूंगी। जब मैंने खेलना शुरू किया तब प्रदेश में एक भी सिंथेटिक टर्फ वाला मैदान नहीं था। मजबूरन मुझे मध्यप्रदेश एकेडमी का रुख करना पड़ा।
वहां की मेहनत के बाद ही मैं ओलिंपियन बन सकी। अब छत्तीसगढ़ में ऐसी कोशिश करना चाहती हूं कि यहां से हॉकी के और भी ओलिंपियन निकलें, इसलिए मैंने खेल विभाग में नौकरी मांगी। रेणुका ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हॉकी अकादमी शुरू की जा रही है। कोशिश होनी चाहिए कि वह राष्ट्रीय स्तर की अकादमी बने, जहां के खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल हो सकें। विश्व स्तरीय अच्छे कोच रखे जाएं, तब कहीं जाकर अच्छे खिलाड़ी निकलेंगे। मैं जो कुछ भी हूं, अच्छे कोच की बदौलत ही हूं। राजनांदगांव, ग्वालियर और भोपाल में मुझे अच्छे कोच मिले, जिसके बाद मेरा खेल और निखरा।