नई दिल्ली, इस होली पर गीले रंगों के बजाय गुलाल, रंगीन परफ्यूम, टोपी और चश्मे की मांग बढ़ी हुई है। स्टॉल लगाकर रंग बिक्री का काम करने वाले दुकानदार राजेश व रवि ने बताया कि होली के प्रति लोगों का उत्साह बरकरार है और पिछले दो रोज से शिक्षण संस्थानों की छात्राएं रंग व गुलाल खरीद कर ले जा रही हैं। रंग व गुलाल की बिक्री में नित्यप्रति बढ़ोतरी हो रही है। छोटे बच्चे भी रंग व गुलाल की खूब खरीददारी करने लगे हैं।
उन्होंने बताया कि रंग, गुलाल व रंग के पटाखों की आठ रुपये से लेकर एक हजार रूपयों तक की आईटम उनके पास है। दुकानदारों ने बताया कि गीले रंग की बजाय गुलाल, रंगीन परफ्यूम, टोपी व चश्मा की डिमांड बढ़ी है। उन्होंने बताया कि बड़े लोग साधारण गीला रंग व गुलाल की बजाय हर्बल रंग व गुलाल की खरीददारी ज्यादा कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि छोटे बच्चे पीठ पर टांगने वाले टेंक, पानी से भरकर गांठ लग जाने वाले गुब्बारे व रंग पटाखों की खरीददारी खूब कर रहे हैं। बरसों से चली आ रही पिचकारी का चलन हर बरस कम पड़ने लगा है। उन्होंने बताया कि रंगों में सर्वाधिक बिक्री गुलाल की होती है।
चर्म रोग विशेषज्ञ के अनुसार रसायनयुक्त रंग त्वचा व आंखों के लिए नुकसान दायक हैं। इन रंगों के उपयोग से कान्टेक्टडर्मिटाइटिस नामक चर्म रोग हो जाता है। उन्होंने कहा कि लोगों को चाहिए कि हर्बल और फूलों से बने रंगों का उपयोग करें। लोकसभा चुनाव ऐन सिर पर होने के कारण रंगों के इस पर्व का राजनीतिक लाभ लेने से भी पार्टियां नहीं चूक रही हैं। कई राजनैतिक दलों की ओर से होली मिलन समारोह के लिए निर्धारित किया गया है।