नयी दिल्ली, वस्तु एवं सेवा कर, संग्रह के कुछ प्रावधानों पर राज्यों तथा केंद्र सरकार में सहमति नहीं बन पाने के कारण जीएसटी परिषद् की आठवीं बैठक भी विफल रही। इससे जीएसटी के इस साल 01 अप्रैल से लागू करने के सरकार के प्रयास काे धक्का लग सकता है। परिषद् की अगली बैठक 16 जनवरी से होगी।
करदाताओं तथा गहरे समुद्र के रास्ते होने वाले व्यापार पर कर लगाने के अधिकार जैसे मुद्दों पर राज्यों तथा केंद्र सरकार के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। बैठक के बाद केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजैक ने बताया कि जिन मुद्दों पर अभी भी सहमति नहीं बना पायी हैए उनमें राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई तथा समेकित जीएसटी में राज्यों की भागीदारी शामिल है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य चाहते हैं कि सर्वाधिक कर स्लैब में राज्यों और केंद्र की हिस्सेदारी तीन अनुपात दो की हो जबकि वर्तमान जीएसटी प्रावधान बराबर.बराबर हिस्सेदारी का है।
आइजैक ने कहा कि यदि हम दिन-रात एक कर दें तो 01 सितंबर तक ;जीएसटी लागू करना संभव होगा। जून या जुलाई में भी इसे लागू करने को लेकर मैं काफी आशान्वित नहीं हूँ। परिषद् की आज समाप्त दो दिवसीय बैठक के बाद श्री जेटली ने कहा ष्हमें पता है कि दिक्कत कहाँ है। हम समय से होड़ लगा रहे हैं और इसीलिए हमने अगली बैठक 16 जनवरी को बुलाई है। क्षेत्राधिकार तथा दोहरा नियंत्रण दो प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर अभी सहमति नहीं बन पायी है।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी परिषद् ने नयी कर व्यवस्था 01 अप्रैल 2017 से लागू करने का निर्णय लिया था। लेकिनए इससे जुड़े कानूनों के प्रारूप को अंतिम रूप नहीं दिये जाने के कारण इसके 01 अप्रैल से लागू होने की संभावना समाप्त होती जा रही है। श्री जेटली पहले ही कह चुके हैं कि 16 सितंबर 2017 तक इसे लागू करने की संवैधानिक अनिवार्यता है। उनका कहना है कि यह अप्रत्यक्ष कर है और इसलिए इसे वित्त वर्ष के बीच में भी लागू किया जा सकता है।