नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल पुलिस चीफ, कोलकाता पुलिस आयुक्त, 100 पुलिसकर्मियों के साथ अवमानना मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस करनन को जमानती वारंट देने आज उनके घर पहुंचे, लेकिन जज ने वारंट को लेने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस करनन के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए हैं और 10 हजार का पर्सनल बॉन्ड भी भरने के आदेश दिए हैं। पश्चिम बंगाल के डीजीपी को वारंट की तामील कराने को कहा गया था। 31 मार्च को जस्टिस करनन को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए गए हैं। जस्टिस करनन अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद न तो पेश हुए और न ही कोई जवाब दिया।
इससे पहले, कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और एवं छह अन्य वरिष्ठतम जजों के खिलाफ स्यू मोटो आर्डर (स्वतंः संज्ञान लेते हुए दिया गया आदेश) जारी करते हुए हर्जाने के दौर 14 करोड़ रुपये देने का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन पर लगाए गए आरोपों के कारण उनकी प्रतिष्ठा पर चोट पहुंची है। जस्टिस कर्णन ने आरोप लगाया कि उन्हें दलित होने के कारण परेशान किया जा रहा है।
जस्टिस सीएस कर्णन ने 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया था। उन्हें दो बार बुलाया गया, लेकिन वो कानूनी कार्यवाही के लिए एक बार भी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो सख्ती करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
जस्टिस कर्णन ने सीबीआई को पूरी जांच करने का निर्देश दिया है, जिससे सबको पता लग सके कि उन्होंने जो 20 न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं उनमें कितना दम है। उन्होने स्पष्ट किया कि मद्रास हाईकोर्ट के पास उनके द्वारा लगाए गए सारे आरोपों को साबित करने के लिए सबूत मौजूद हैं।
इस केस की सुनवाई कर रही बेंच के सदस्यों में सीजेआई खेहर के अलावा जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष और जस्टिस कुरियन जोसेफ शामिल हैं।