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16 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता, अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित

द हेग,  स्वीडन की 16 साल की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ उनके संघर्ष के लिए बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ दुनिया भर में स्कूली बच्चों के साथ एक मुहिम शुरू की है। थनबर्ग के साथ कैमरून की शांति कार्यकर्ता 15 वर्षीय डिविना मलौम को भी अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। डच बाल अधिकार संगठन ‘किड्स राइट’ 2005 से यह पुरस्कार देता आ रहा है। भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता और 2014 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने यह पुरस्कार प्रदान किया।

थनबर्ग द हेग में आयोजित समारोह में उपस्थित नहीं हो सकीं क्योंकि वह मेड्रिड में एक अंतरराष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन में भाग लेने के लिए नाव से अटलांटिक महासागर को पार कर रही हैं। हालाँकि उन्होंने सम्मान के लिए आभार जताने के लिए एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘वह इस पुरस्कार के लिए बहुत आभारी हैं और सम्मानित महसूस कर रही हैं।’’

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को रोकने के लिए आवाज उठाने वाली थनबर्ग ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी दस्तक दी जब उन्होंने जलवायु परिवर्तन के विरोध में प्रदर्शन के लिए स्कूल हड़ताल की थी। दुनिया भर के लाखों बच्चे अब उनकी इस मुहिम में शामिल हो गए हैं। थनबर्ग की ओर से पुरस्कार ग्रहण करने वाली जर्मन जलवायु कार्यकर्ता लुइसा-मैरी नेउबॉउर ने कहा, ‘‘जलवायु संकट हमारे समय का शांति का मुद्दा है।’’

उन्होंने इस मुद्दे पर विश्व नेताओं की निष्क्रियता की आलोचना करते हुये कहा, ‘‘हमलोग इस पर कदम उठाने की मांग करते हुये सड़कों पर उतरे और सच्चाई यह है कि आज हड़ताल के एक साल बाद भी इस ग्रह पर हर बच्चे के जीवन को खतरा है।’’ डिविना मलौम को जिहादी समूह बोको हराम के खिलाफ उनके ‘‘शांतिपूर्ण संघर्ष’’ के लिए पुरस्कार दिया गया। उन्होंने पुरस्कार ग्रहण के दौरान दिए अपने भाषण में कहा, ‘‘कैमरून और अफ्रीका में जब शांति-स्थापना के बारे में बात की जाती है, तो नेता लोग बच्चों को भूल जाते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं दुनिया भर के अपने साथियों को आवाज बुलंद करने के लिए आमंत्रित करती हूं।’’