बांदा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बुंदेलखंड़ दौरे से यहां के सवा चार लाख कर्जदार किसानों को अपने अच्छे दिन वापस आने की उम्मीद है, क्योंकि दो दशक से दैवीय आपदा का दंश झेल रहे इन किसानों के सिर पर 42 अरब रुपये से अधिक का सरकारी कर्ज लदा हुआ है। करीब दो दशक से दैवीय आपदाओं का दंश झेल रहे यहां के किसानों को प्रधानमंत्री से अपने अच्छे दिन के वापसी की काफी उम्मीद है। बुंदेलखंड़ के बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर के करीब सवा चार लाख किसानों के ऊपर 42 अरब, 53 करोड़, 13 लाख रुपये का बैंक कर्जा है। समय-समय पर यहां के किसान इस कर्ज के माफी की मांग करते आए हैं, कर्ज और फसल बबार्दी से अब तक सैकड़ों किसान आत्महत्या भी कर चुके हैं।
गैर सरकारी संगठन कृषि एवं पर्यावरण विकास संस्थान के निदेशक और नदी-तालाब, बचाओ आन्दोलन के संयोजक सुरेश रैकवार के मुताबिक, बुंदेलखंड़ के बांदा जिले के किसानों पर सबसे ज्यादा 22 अरब, एक करोड़ 50 लाख रुपये का कर्ज है, इनमें 14 अरब, 70 करोड़, 75 लाख रुपये किसान क्रेडित कार्ड के तहत और दो अरब, 98 करोड़, 39 लाख रुपये अन्य कृषि ऋण है। रैकवार के अनुसार, चित्रकूट के किसानों पर 75 करोड़, 55 लाख रुपये, महोबा के किसानों पर एक करोड़ 33 लाख रु. और हमीरपुर के किसान 74 करोड़, 26 लाख रुपये के सरकारी कर्जदार हैं। उन्होंने बताया कि दो दशक के भीतर सैकड़ों किसान आत्महत्या तक कर चुके हैं, लेकिन केन्द्र व राज्य सरकारों ने किसानों पर मेहरबान नहीं हुई। रैकवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा देने वाली भाजपा की अब नरेन्द्र मोदी की अगुआई में केन्द्र में सरकार है बुंदेलखंड़ का परिवर्तन तभी होगा, जब प्रधानमंत्री किसानों के कर्ज माफ कर उनके अच्छे दिन वापस करेंगे।