नई दिल्ली, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आज स्पष्ट किया कि सेना के लिए दान पूरी तरह स्वैच्छिक है और वह किसी पर दबाव डाले जाने को पसंद नहीं करते। यह बात पर्रिकर ने मनसे के इस फरमान के संदर्भ में कही जिसमें पार्टी ने पाकिस्तानी कलाकारों को लेकर फिल्म बनाने वाले निर्माताओं से सेना कल्याण कोष आर्मी वेलफेयर फंड में पांच करोड़ रूपये का दान देने को कहा था। सेना राजनीति में घसीटे जाने से नाखुश है। पर्रिकर ने यहां नौसेना कमांडरों की बैठक से इतर कहा अवधारणा स्वैच्छिक दान की है न कि किसी पर दबाव डाल कर लेने की। हम इसे पसंद नहीं करते। रक्षा मंत्री ने कहा कि नवगठित बैटल कैजुअल्टी फंड का गठन यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि जो लोग शहीदों के परिजनों के कल्याण के लिए स्वेच्छा से दान देना चाहते हैं, वह दान दे सकें। उन्होंने कहा रक्षा मंत्रालय संबद्ध एजीबी एजुटेन्ट जनरल ब्रांच की मदद से यह योजना चलाएगा।
यह पूरी तरह स्वैच्छिक अनुदान है और इसके लिए दान देने की किसी भी मांग से हमारा संबंध नहीं है। पर्रिकर ने कहा कि मंत्रालय एक योजना बना रहा है जिसके माध्यम से शहीदों के सभी परिवारों की समान मदद की जाएगी। दरअसल सेना कल्याण कोष को दान के संबंध में विवाद तब उठा जब निर्माता करण जौहर की फिल्म ऐ दिल है मुश्किल के खिलाफ मनसे ने विरोध शुरू किया। मनसे का विरोध इसलिए है क्योंकि फिल्म में पाकिस्तानी कलाकार फवाद खान ने काम किया है। उड़ी हमले के बाद पाकिस्तानी कलाकारों के बॉलीवुड में काम करने को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं।
ऐ दिल है मुश्किल को रिलीज की अनुमति तब दी गई जब इसके निर्माता मनसे प्रमुख राज ठाकरे की तीन शर्तें मानने को तैयार हो गए। इनमें एक शर्त यह है कि निर्माता को पांच करोड़ रूपये सेना कल्याण कोष में देने होंगे। सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कल्याण कोष के लिए योगदान स्वैच्छिक होता है। जबरन वसूली की अनुमति नहीं है। हम चाहते हैं कि लोग अपनी मर्जी से योगदान करें, न कि किसी तरह के दबाव में। सेना के सूत्रों ने बताया कि सभी तरह के दान की जांच के लिए उनके पास एक व्यवस्था है और किसी भी तरह के दबाव में या फिर ऐसे व्यक्ति द्वारा दिए गए दान को अस्वीकृत किया जा सकता है जिसके साथ बल संबद्ध नहीं होना चाहता।