नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के सुझाव के बाद चुनाव आयोग दोनों चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावना को देखते हुए अपनी तैयारियों में जुट गया है। हालांकि, इसको लेकर फिलहाल अभी संविधान में संशोधन की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। सरकार ने नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की खरीददारी के लिए चुनाव आयोग को 1,009 करोड़ जारी किए हैं।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, चुनाव आयोग ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगर 2019 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाते हैं तो करीब 14 लाख नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की आवश्यकता होगी। हालांकि, वित्त मंत्रालय की तरफ से ईवीएम मशीनों की पहली खेप को खरीदने की मंजूरी दिए जाने और इतनी ही राशि इसी तरह अगले तीन वर्षों तक दिए जाने को स्वीकृति देने के बाद अगर ऐसी जरूरत पड़ती है तो चुनाव आयोग पर्याप्त मशीनों की खरीददारी कर पाएगा।
ईवीएम की पहली खेप के लिए पहले ही ऑर्डर दिया जा चुका है। ऐसे में हर साल करीब पांच लाख ईवीएम अगले तीन सालों तक खरीदी जाएंगी, जिससे चुनाव आयोग की तरफ से देशभर में एक साथ चुनाव कराने को लेकर उसकी तैयारियों का पता चलता है। एक अधिकारी ने बताया, हालांकि सरकार की तरफ से एक साथ देशभर में चुनाव कराने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं। उसके बावजूद अगले तीन सालों तक नए ईवीएम की खरीददारी के लिए मंजूरी साफतौर पर इस बात का संकेत है कि सरकार 2019 के चुनाव से पहले एक साथ चुनाव को लेकर काफी गंभीर है।
अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि एक साथ चुनाव कराए जाने को लेकर उसके दूसरे पहलुओं को भी देखे। भारत में करीब 10 लाख पोलिंग स्टेशन हैं और 16 लाख ईवीएम। लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती सरकार के लिए रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट में संशोधन है। यह एक कानूनी संशोधन होगा, जिसके पक्ष में दो तिहाई समर्थन की आवश्यकता होगी। जिसके लिए संसद के सदस्यों को दोनों सदनों में उपस्थित रहकर समर्थन में वोट करना होगा। इस योजना के लिए कानून मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय काफी महत्वपूर्ण होंगे, जिन्हें इस पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति की आवश्यकता होगी। क्योंकि, संसद के शीतकालीन सत्र को शांतिपूर्वक चलाने के लिए आम राय सभी दलों के बीच नहीं बनाई जा सकी थी।