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मनोरंजन का अच्छा पैकेज है ‘मुन्ना माइकल’

 

3 स्टार फिल्म ‘मुन्ना माइकल’ की कहानी शुरू होती है 1995 से, जहां माइकल नाम का एक डांसर फिल्म की शूटिंग में डांस कर रहा है। वह माइकल जैक्सन का बड़ा फैन है। शूटिंग से माइकल को निकाल दिया जाता है क्योंकि अब उसकी उम्र बढ़ चुकी है। इसी रात माइकल को कचरे के डब्बे में एक बच्चा मिलता है और इस बच्चे का नाम वह मुन्ना रख देता है। मुन्ना, डांस के टैलेंट को लेकर बड़ा हुआ है। मुन्ना की मुलाकात महेंद्र फौजी से होती है, जो मुन्ना से डांस सीखना चाहता है। दरअसल महेंद्र डॉली नाम की लड़की से प्यार करता है और उसी के लिए वह डांस सीखना चाहता है क्योंकि डॉली एक डांसर है।

महेंद्र अपने इलाके का दादा है। यही है इस फिल्म की कहानी, जिसमें लव ट्रायंगल के लफड़े को डांस के तड़के के साथ दिखाया गया है। फिल्म में माइकल के किरदार में नजर आ रहे हैं रोनित रॉय जबकि उनके बेटे ‘मुन्ना माइकल’ का किरदार निभाया है हीरो यानी टाइगर श्रॉफ ने। फिल्म में महेंद्र बने नजर आएंगे नवाजुद्दीन सिद्दीकी और डॉली यानी वह लड़की जिसके प्यार के लिए सारी फिल्म है, उसके किरदार में नजर आएंगी एक्ट्रेस निधि अग्रवाल। इस लव ट्राएंगल में एक्शन और डांस दोनों ही जबरदस्त है और टाइगर श्रॉफ इसी चीज के लिए बॉलीवुड में जाने जाते हैं। इस फिल्म में भी टाइगर ने सिद्ध किया है कि वह इस हुनर में माहिर हैं।

‘मुन्ना माइकल’ की कहानी बहुत अच्छी नहीं है और न ही इसमें कोई नयापन है, लेकिन फिल्म की पटकथा यानी स्क्रीनप्ले काफी अच्छे से लिखा गया है। इसमें एक्शन और डांस के बीच कॉमेडी का तड़का अच्छे से लगाया गया है। नवाज और टाइगर के बीच के कुछ सीन हंसाते हैं। नवाज का पागलपन वाला प्रेम और उस प्यार को पाने के लिए डांस सीखने की जद्दोजहद काफी मजेदार है। नवाज ने इस फिल्म में एक बार फिर बेहतरीन अभिनय कर यह साबित किया है कि वह एक जबरदस्त एक्टर हैं जो किसी भी किरदार में फिट हो सकते हैं। निधि अग्रवाल इस फिल्म के बॉलीवुड में अपनी शुरुआत कर रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उनके आत्मविश्वास की कमी बिलकुल नजर नहीं आती।

इस फिल्म की कमजोर कड़यिों की बात करें तो इंटरवेल के बाद स्क्रिप्ट थोड़ी कमजोर पड़ती है। क्लाइमैक्स में ड्रामेबाजी थोड़ी ज्यादा ही हो गई है। गोली लगे पैर में कपड़ा बांधकर टाइगर का नाचना और गिरते हुए टाइगर को अचानक पिता के मुन्ना कहते ही फिर से खड़ा हो जाना काफी ड्रेमेटिक लगता है। क्लाइमैक्स की यह ड्रामेबाजी बगलें झांकने पर मजबूर करती हैं। पंकज त्रिपाठी जैसे मंजे हुए कलाकार के लिए शायद इस फिल्म में जगह नहीं थी क्योंकि पंकज के पास फिल्म में करने के लिए कुछ भी नहीं है। वह सिर्फ नवाज के पीछे घूमते या मार खाते नजर आते हैं। निर्देशक साबिर खान की टाइगर श्रॉफ के साथ यह तीसरी फिल्म है और वह जानते हैं कि टाइगर का हथियार है डांस और एक्शन।

साबिर ने इसी ही फिर से फिल्म में इस्तेमाल किया है। फिल्म की कहानी बहुत दमदार नहीं है पर ‘मुन्ना माइकल’ एक मसाला फिल्म है और सिनेमाघरों में यह आपको बोर नहीं करेगी।